वीजा-पासपोर्ट सर्विस के साथ सिटीजन सर्विसेज उपलब्ध करानेवाली बीएलएस इंटरनेशनल को देश की सबसे बड़ी व दुनिया की दूसरी बड़ी सर्विस कंपनी बनाने का श्रेय शिखर अग्रवाल को जाता है. शिखर कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं. उन्होंने देश में 50 हजार से ज्यादा सर्विस ऑफिस के साथ 60 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है. 64 से ज्यादा देशों में कंपनी की उपस्थिति है और 40 देशों की सरकारों को भी सेवाएं दे रही हैं. प्रस्तुत है शिखर अग्रवाल से राकेश कुमार की बातचीत के अंश.
बात 2008-09 की है, जब भारत से बहुत सारे लोग देश से बाहर जाने लगे थे. दूतावास के बाहर भीड़ लगने लगी थी. लोगों को वीजा लेने में काफी परेशानी हो रही थी. इसका कोई सॉल्यूशन नहीं था. लोगों को चार-चार घंटे धूप में खड़ा रहना पड़ता था. भीड़ बहुत थी और दूतावास में लोग कम थे. हम लोग कुछ एंबेसी में पहले से जुड़े हुए थे. उनके लिए बैकग्राउंड वेरिफिकेशन का काम करते थे. इस दौरान हम पुर्तगाल के एंबेसी के संपर्क में आये. उन्होंने कहा कि आप हमारे लिए आउटसोर्सिंग करिए. लोग हमारे पास सीधा एंबेसी न आएं. हमने उस तरह से एक मॉडल शुरू किया. बहुत सालों तक भारत सरकार पर फोकस किया. भारत सरकार के एंबेसीज भी आउटसोर्स करते हैं. जो विदेशी भारत आना चाहते है, उनको इंडियन वीजा चाहिए होता है. इंडियन डायस्पोरा बाहर रहता है. उनको अपना पासपोर्ट रिन्युअल या ओसीआइ कार्ड जैसी काफी चीजें चाहिए होती हैं. भारत सरकार ने हमें वह आउटसोर्स करने का भी मौका दिया. बहुत सालों तक हम उसके साथ जुड़े रहे. पिछले छह-सात सालों में हमने कई अन्य देशों की सरकारों के साथ भी काम शुरू किया है.
हमलोग अभी 64 देशों में काम करते हैं. अभी हमारे 40 क्लाइंट खुद सरकारें हैं. जैसे- भारत एक क्लाइंट हो गया. जर्मनी, इटली, स्पेन, पुर्तगाल, पोलैंड आदि बहुत सारे क्लाइंट हैं.
नहीं. हम अकेली भारतीय कंपनी हैं, जो दुनिया में इस तरह की सेवाएं उपलब्ध कराते हैं. हां, दुनिया की बात करें, तो हम दूसरे स्थान पर हैं. हमारी कंपनी बीएलएस इंटरनेशनल सर्विसेज लिमिटेड के नाम से इंडियन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भी है.
विदेशों में काम करना बहुत ही कठिन था. यूरोप के अंदर सरकारों से काम लेना था. यूरोप की कंपनियां काम कर रहीं थीं. उनके होते हुए काम लेना… पर जैसा कि भारत ने हमें सिखाया है, हम लगातार लगे रहे, डटे रहे. हमने हार नहीं मानी. डर नहीं माना. तब जा कर हमें सफलता मिली. इसी तरह कंपनी आगे बढ़ रही है.
जब हमने काम शुरू किया, तो सिर्फ भारत में हमारा एक ऑफिस था. देश से बाहर काम करने का अनुभव बिल्कुल नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हमने 20 देशों में अपने ऑफिस खोले. जब हमने विदेशी सरकारों के साथ काम करना चाहा, तो हमें काफी दिक्कतें आयीं. सरकार से बात करने का मौका नहीं मिल रहा था. वे बोल रहे थे कि आप भारतीय कंपनी हैं, आपने हमारे साथ काम नहीं किया है, अनुभव नहीं है, तो हमने सबसे पहले छोटे देशों को पकड़ा. जहां वॉल्यूम नहीं थे, लेकिन प्रोसेस उतने ही कठिन थे. हमने धीरे-धीरे वहां काम चालू किया. धीरे-धीरे उनका विश्वास हमारे ऊपर आया कि हम उनके प्रोसेस, उनके लॉ को फॉलो कर सकते हैं. फिर उन्होंने बड़ा काम देना शुरू कर दिया. हमारे काम करने की शैली पर धीरे-धीरे उनका विश्वास बढ़ा. दिक्कतें तो आयीं. काफी धैर्य रखना पड़ा और अंतत: हमें सफलता मिली.
वैसे तो बहुत सारी घटनाएं हैं, लेकिन बात 2016 की है, जब हमने पहली बार स्पेन सरकार का ग्लोबल कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया. पूरी दुनिया में जितने भी स्पेन के वीजा लगते हैं, चाहे भारत हो, यूके हो, रूस हो, चीन हो, सबको हमारे ही ऑफिस में आना होता है, वीजा लगवाने के लिए. यह हमारे लिए काफी बड़ी उपलब्धि है.
भारत में अब हमारे 50 हजार से ज्यादा ऑफिस हो गये हैं, जो टीयर-2, टीयर-3 शहरों में हैं. हम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट का काम करते हैं. अलग-अलग राज्यों में स्टेट गवर्नमेंट सर्विसेज उपलब्ध कराते हैं. आधार व आर्म लाइसेंस रिन्युअल का काम भी करते हैं. काफी सारे राज्यों में हमने अपनी उपस्थिति बना ली है.
बिल्कुल. यही नहीं, हम रोजगार भी दे रहे हैं. भारत में हमारे यहां 60 हजार से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. यहां के युवाओं को शिक्षित कर रहे हैं, ट्रेनिंग दे रहे हैं. उनको सशक्त कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि वे हमसे काम सीखें और हमारा काम बढ़ाएं, अपना काम भी बढ़ाएं और आगे बढ़ें.
कंपनी 2008 से लगातार बढ़ रही है. पिछले साल तक कंपनी का टर्न-ओवर 1500 करोड़ रुपये का था.
पिछले साल की तुलना में हमने 100 प्रतिशत का ग्रोथ एचीव किया है. हमारा तो हर साल और आगे बढ़ने का लक्ष्य रहता ही है. इस कंपनी को विश्व की सबसे बड़ी इंडियन सर्विसेज कंपनी बनाने की तमन्ना है.
मैं एक संयुक्त कारोबारी परिवार से आता हूं. बचपन से ही सुबह से शाम तक और शाम से रात तक हमने कारोबार ही सीखा है. काम तो जीवन में एक चीज है, मूलत: हम परिवार से बहुत जुड़े हुए हैं. हमारे लिए परिवार ज्यादा महत्वपूर्ण है. हम परिवार के साथ काफी समय बिताते हैं. बहुत कुछ सीखने को मिलता है पापा से, ताऊजी से, ताई जी से. उनसे सीखी बातें हम अपने जीवन में उतार पाते हैं. मेरे पिता भी कंपनी से जुड़े हुए हैं. वह कंपनी के चेयरमैन हैं.
मैं तो यही कहना चाहूंगा कि अगर आप में आत्मविश्वास हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है. अगर आप में जिद और हार न मानने का संकल्प है, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है. हिम्मत करके समझदारी से आगे बढ़ना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए.
आज की तारीख में सारी सरकारों को अपनी सेवा देने में दिक्कतें हैं. पूरी दुनिया में. वीजा-पासपोर्ट एक सर्विस है. इसके अलावा, हम सिटीजन सर्विस में आ गये हैं. हर देश में समान समस्या है. सरकारों के पास नागरिक सेवा मुहैया कराने की क्षमता में उतना विस्तार नहीं है, इसलिए सबकुछ आउटसोर्स हो सकता है. हम इसका मॉडल हैं. सरकार की कोई भी नागरिक सेवा हो, वीजा, पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, वह सब हम कर सकते हैं. हमारा मॉडल है कि हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके सरकार और सिटीजन के बीच इंटरफेस बनना चाहते हैं.
बिल्कुल है. पटना व रांची में हम बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट का काम करते हैं. वीजा का काम हम यहां पर नहीं करते हैं. बैंक की सर्विस प्रोवाइड करते हैं. आप बीएलएस इंटरनेशनल की सेवाओं के लिए हमारी कंपनी के वेबसाइट www.blsinternational.com पर जा सकते हैं.
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