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खादी के कपड़ों से लोगों का लगाव हमेशा से रहा है. अब सबका मन मोहने खादी के जूते भी आ गये हैं. सबसे बड़ी बात की इसके लिए किसी को खादी स्टोर भी जाने की जरुरत नही है. सारा लेनदेन ऑनलाइन हो सकेगा.

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खादी के कपड़ों से लोगों का लगाव हमेशा से रहा है. अब सबका मन मोहने खादी के जूते भी आ गये हैं. सबसे बड़ी बात की इसके लिए किसी को खादी स्टोर भी जाने की जरुरत नही है. सारा लेनदेन ऑनलाइन हो सकेगा. जी हां अब खादी के फुटवेयर की ऑनलाइन बिक्री होगी. एक से बढ़कर एक नक्काशीदार कपड़े के जूते खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के पोर्टल पर बेचे जायेंगे.

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी) ने बुधवार को खादी कपड़े के फुटवियर पेश किया. केंद्रीय एमएसएमइ मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केवीआईसी के ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.in के जरिये खादी के इन फुटवियरों की ऑनलाइन बिक्री की शुरूआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि खादी के कपड़े से बने फुटवियर से देश के साथ साथ विदेशी बाजार में भी कब्जा करने की बहुत संभावना है.

शुरुआत में महिला फुटवियर के लिए 15 डिजाइन और पुरुष फुटवियर के लिये 10 डिजाइन पेश किये गये हैं. इन फुटवियर को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के पोर्टल पर बेचे जायेंगे. फुटवियरों को फैशनेबल बनाने के लिए पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, खादी डेनिम, तसर सिल्क का उपयोग किया गया है. प्रत्येक जोड़ी के जूते और सैंडल की कीमत 1,100 रुपये से 3,300 रुपये के बीच है.

गडकरी ने रोजगार सृजन और निर्यात के लिए देश के फुटवियर क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, मेरा मानना है कि चीन और अमेरिका के बाद भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा फुटवियर निर्माता है. यह 1.45 लाख करोड़ रुपये का उद्योग है. इसमें घरेलू बाजार 85 हजार करोड़ और निर्यात बाजार 45 से 55 हजार करोड़ रुपये का है.

बता दें, भारतीय फुटवियर उद्योग करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है, जिसके दो फीसदी पर व्यवसाय करने का खादी ने लक्ष्य रखा है. यानी का फिलहाल लक्ष्य करीब 1 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करने का है.

Posted by: Pritish Sahay

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