High Return Investment: सुरक्षित और अच्छे रिटर्न के लिए लोगों के पास कई विकल्प होते हैं. शेयर बाजार में जब मंदी आती है, तो लोगों को सबसे ज्यादा सोना (Gold) ही आकर्षित करता है. सुरक्षित निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड का विकल्प चुनते हैं. चांदी (Silver Price) में भी बड़े पैमाने पर निवेश होता है, लेकिन यह सफेद धातु लोगों को उतना आकर्षित नहीं करता, जितना सोना (Gold Price) या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund).
अब वक्त आ गया है कि सोना और म्यूचुअल फंड का मोह छोड़कर आप चांदी में निवेश करें. बाजार के विशेषज्ञ यही कह रहे हैं. मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि सोना भले आने वाले दिनों में 52,000 रुपये के स्तर को छू ले, लेकिन चांदी (Silver Price) महज तीन साल में आपके निवेश को ढाई गुणा कर देगा. यानी चांदी (Silver Rate) में अगर अभी निवेश किया, तो तीन साल बाद आपको 250 फीसदी का बंपर रिटर्न मिलेंगे.
बाजार के जानकारों का कहना है कि काफी दिनों से मंदी के दौर से गुजर रही चांदी इसी साल के अंत तक 80,000 रुपये के स्तर को छू लेगी. यानी चांदी की कीमत दिसंबर 2022 तक 80 हजार रुपये प्रति किलो हो सकती है. इस स्तर को पार करने के बाद भी चांदी की रफ्तार थमेगी नहीं. वर्ष 2024 तक चांदी की कीमत प्रति किलोग्राम 1.50 लाख रुपये तक हो जायेगी. यानी वर्तमान कीमत से ढाई गुणा ज्यादा.
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मार्केट एक्सपर्ट कह रहे हैं कि अभी अगर चांदी में निवेश किया, तो आने वाले कुछ ही सालों में आप मालामाल हो सकते हैं. म्यूचुअल फंड और सोना के मुकाबले चांदी कई गुणा ज्यादा रिटर्न देगी. महंगाई को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी प्रमुख देशों में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं. इसका नतीजा यह होगा कि इक्विटी मार्केट में गिरावट आयेगी. यानी निवेश पर मुनाफा कम होगा.
कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है. यह दौर जब खत्म होगा, तो बाजार में अनिश्चितता कम होगी. इसके बाद गोल्ड में निवेश घटने और सिल्वर में तेजी आने की उम्मीद बाजार के जानकार जता रहे हैं. यह चांदी अगले कुछ वर्षों तक जारी रहने की उम्मीद है. अगर चांदी 1.50 लाख रुपये के स्तर तक चली जाती है, तो निवेशकों को 250 फीसदी रिटर्न मिलना तय है. चांदी की कीमत अभी 61 हजार रुपये के आसपास है.
बाजार के जानकार बताते हैं कि चांदी की डिमांड में जितनी तेजी है, उस हिसाब से सफेद चमकीली धातु जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसके खनन में अभी उतनी तेजी नहीं आयी है. वर्ष 2018 से 2020 के बीच चांदी के उत्पादन में लगातार कमी देखी गयी है. दरअसल, ऑटोमोबाइल, सोलर और इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है. पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी में चांदी का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी वजह से इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
Posted By: Mithilesh Jha
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