Zee Entertainment को लगा बड़ा झटका, Sony ने मर्जर किया रद्द, कंपनी को भेजा टर्मिनेशन लेटर

ZEE-Sony Merger: एक्सिस फाइनेंस और आईडीबीआई बैंक दोनों के मर्जर के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) में शिकायत की थी. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने दोनों कंपनियों के विलय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था.

By Madhuresh Narayan | January 22, 2024 10:58 AM

ZEE-Sony Merger: जी एंटरटेनमेंट को आज बड़ा झटका लगा है. सोनी ग्रुप (Sony Group) ने आधिकारिक रुप से जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड को बताया है कि वो अपनी भारतीय इकाई के मर्जर की योजना को रद्द करने पर विचार कर रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जापान की दिग्गज मनोरंजन कंपनी ने सोमवार सुबह जी को एक पत्र भेजा है. उम्मीद है कि वह बाद में एक्सचेंज को इसका खुलासा करेगी. सोनी ने जी के साथ विलय को समाप्त करने का कारण अधूरी शर्तों को बताया है. दो साल पहले घोषित इस विलय को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांच के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा. बता दें कि एक्सिस फाइनेंस और आईडीबीआई बैंक दोनों के मर्जर के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) में शिकायत की थी. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने दोनों कंपनियों के विलय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. विलय का फैसला कैंसिल करने के पीछे डील में लेट होना बताया जा रहा है. ये मामला दो साल से फंसा हुआ है. ये मर्जर 10 बिलियन डॉलर के आसपास का बताया जाता है.

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सोनी ने जी के साथ सौदा क्यों रद्द कर दिया?

सोनी ने सौदा रद्द करने का कारण अधूरी शर्तों को बताया है. रिपोर्ट के अनुसार, मर्जर प्रोपर्टी के नेतृत्व को लेकर कंपनियों के बीच गतिरोध के कारण हुई है. इसमें मामले में विशेष रुप से ज़ी के सीईओ पुनीत गोयनका शामिल हैं, जिनकी पूंजी बाजार नियामक सेबी द्वारा जांच चल रही है. दोनों कंपनियों के मर्जर का उद्देश्य नेटफ्लिक्स इंक और Amazon.com इंक जैसे वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने और सक्षम $ 10 बिलियन का मीडिया पावरहाउस स्थापित करना था.

विलय योजना पर 2021 में हुआ था समझौता

Sony और ZEEL के बीच विलय के लिए समझौता 2021 के दिसंबर में हुआ था. नयी बनने वाली जाइंट मीडिया हाउस में सोनी की अप्रत्यक्ष रूप से सबसे ज्यादा 50.86 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. जबकि, जी के फाउंडर्स की कंपनी में 3.99 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. वहीं, जी के शेयरधारकों की 45.15 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. 2021 में दोनों कंपनियों की विलय प्रक्रिया पूरी होने में 8 से 10 महीने का वक्त लगने की उम्मीद की जा रही थी. हालांकि, कई कारणों से तय वक्त में विलय नहीं हो सका. इसकी वजह यह है कि जी को कर्ज देने वाले कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने इस विलय के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी.

कैसे एक कंपनी दूसरे कंपनी से मर्ज होती है

कंपनी एक दूसरी कंपनी का अधिग्रहण (मर्जर और अक्कर्ता) करने के लिए दोनों कंपनियों में पहले वार्ता होती है. अधिग्रहण की योजना बनाने के लिए दोनों कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक समझौते पर सहमत होते हैं. इसमें अधिग्रहण के विवरण, समयसीमा, सम्पत्ति का मूल्यांकन, स्टॉक मुद्रा आदि का समायोजन होता है. एक बार योजना बनने और समझौते के बाद, नौबत (फॉर्म 23C और फॉर्म 1 नौबत) जारी किया जाता है. इसमें अधिग्रहण की प्रक्रिया और विवरण शामिल होते हैं. नौबत जारी करने के बाद, उसे सर्वोच्च न्यायालय या नौबत स्वीकृति अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है. स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, योजना के मुताबिक अधिग्रहण का कार्यान्वयन शुरू किया जाता है. इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के सम्पत्ति, स्टॉक, और सम्पत्ति का नियंत्रण प्राप्त करती है. अधिग्रहण के बाद, दोनों कंपनियों के विभिन्न प्रक्रिया, उत्पादन, वित्त, और प्रबंधन की प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है. विभिन्न विभाजित संरचना को एक समेकित और संगठित संरचना में बदला जाता है.

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