नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर दूरंसचार कंपनियां सरकार का समायोजित सकल आय (एजीआर) से संबंधित बकाया चुकाने को तैयार नहीं हैं तो वह स्पेक्ट्रम आबंटन रद्द करने का आदेश दे सकता है. न्यायालय ने कहा कि दूरसंचार विभाग को अगर लगता है कि बकाया के डूबने का जोखिम है, उसे स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए.
न्यायाधीश अरूण मिश्रा, न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर और न्यायाधीश एम आर शाह ने इस मामले को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा कि जो दूरसंचार कंपनियां दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई का सामना कर रही हैं, क्या वे स्पेक्ट्रम बेच सकती हैं और किस तरीके से उनसे समायोजित सकल आय संबंधित बकाये की वसूली की जाए? पीठ, जियो और एयरटेल पर अगर कोई बकाया बनता है, तो उस पर भी फैसला सुनाएगी.
जियो और एयरटेल ने क्रमश: आर कॉम, एयरसेल और वीडयोकॉन के साथ स्पेक्ट्रम साझेदारी समझौता कर रखे थे. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अगर दूरसंचार कंपनियां एजीआर बकाये का भुगतान करने को तैयार नहीं हैं, वह आबंटित स्पेक्ट्रम रद्द करने का आदेश दे सकती है. न्यायालय ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां किसी की संपत्ति बिना किसी देनदारी के लेकर एजीआर से जुड़े बकाया को पचा नहीं सकती हैं.
पीठ ने कहा कि स्पेक्ट्रक्म कारोबार से जुड़े दिशानिर्देश के तहत बिक्रेता को किसी प्रकार का बिक्री समझौता करने से पहले लंबित बकाये के निपटान करना अनिवार्य है. और अगर विक्रेता देनदारी का भुगतान नहीं करता है, तब दिशानिर्देश के अनुसार बकाया खरीदार पर पर हस्तांतरित हो जाता है. न्यायालय ने कहा कि अगर स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द किया जाता है, उसे दूरसंचार विभाग के पास जमा करना होगा और विभाग उच्च राशि की प्राप्ति के लिये उसकी नीलामी करेगा.
दूरसंचार विभाग की तरफ से पेश सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिशानिर्देश के अनुसार स्पेक्ट्रम बिक्री सौदे से पहले दूरसंचार कंपनियों को एजीआर बकाया समेत सभी देनदारी का भुगतान करना चाहिए. उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि विभाग विक्रेता और खरीदार से व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से बकाया चुकाने को कह सकता है.
Posted By: Pawan Singh
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