नयी दिल्ली : बचत को लेकर बच्चे काफी उत्साहित होते हैं. बचपन में गुल्लक में पैसे जमा करना अद्भुत खुशी देता है. मिट्टी के गुल्लक में पैसे जमा करना और बाद में भर जाने पर उसे फोड़ना घर के सभी सदस्य को आनंदित कर देता है. धीरे-धीरे गुल्लक का स्थान हाईटेक गुल्लक लेने लगे. अब पैसे निकालने के लिए चाबी से गुल्लक खोले जाने लगे. भारत की अग्रणी राष्ट्रीयकृत बैंक भारतीय स्टेट बैंक नाबालिग बच्चों में बचत को लेकर दो योजनाएं लेकर बाजार में हैं. इनमें पहला है पहला कदम और दूसरा है पहली उड़ान. अब बच्चों को पैसे बचाने के महत्व को जानने में बैंक मदद करेंगे. साथ ही उन्हें पैसे की ‘क्रय शक्ति’ का प्रयोग करने की भी अनुमति देंगे.
दोनों तरह के अकाउंट ‘पहला कदम’ और ‘पहली उड़ान’ योनो ऐप और वेबसाइट के जरिये खोले जा सकते हैं. इसके अलावा बैंक की शाखा में जाकर ऑफलाइन खाता भी खुलवाया जा सकता है. ‘पहला कदम’ अकाउंट किसी भी उम्र के बच्चे के नाम पर माता-पिता या अभिभावक के साथ ज्वॉइंट खोला जाता है. वहीं, ‘पहली उड़ान’ का अकाउंट दस वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चे के लिए एकल आधार पर खोला जाता है.
‘पहला कदम’ अकाउंट को माता-पिता या अभिभावक के साथ संयुक्त रूप से ऑपरेट कर सकते हैं. वहीं, माता-पिता या अभिभावक को एकल रूप से ऑपरेट करने की भी अनुमति है. वहीं, ‘पहली उड़ान’ अकाउंट को एकल रूप में ऑपरेट किया जा सकता है. दोनों अकाउंट बचत खाते हैं. साथ ही पूरी तरह से परिपूर्ण हैं. इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं भी इनमें मिलती है. इससे बच्चे निजी वित्त की बारीकियां सीख सकते हैं. ये सभी सुविधाएं प्रतिदिन की सीमा के साथ उपलब्ध है, जिससे वे संग्रह किये गये धन को अपनी बुद्धिमानी के साथ खर्च कर सकें.
इन खातों की सबसे बड़ी विशेषताएं हैं कि इनमें मासिक औसत शेष यानी मिनिमम एवरेज बैलेंस की जरूरत लागू नहीं होती है. वहीं, अधिकतम बैलेंस 10 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है.
पहला कदम : चेकबुक के साथ उपलब्ध है. इस पर खाताधारक का मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा. अभिभावक के अधीन नाबालिग के नाम पर विशेष रूप से डिजाइन चेकबुक में 10 चेक लीव्स होंगे, जो अभिभावक को जारी किये जायेंगे.
पहली उड़ान : चेकबुक के साथ उपलब्ध है. इसमें भी खाताधारक का मोबाइल नंबर दर्ज होगा. विशेष रूप से डिजाइन की गयी व्यक्तिगत चेकबुक में 10 चेक लीव्स होंगे. इसमें हस्ताक्षर करनेवाले नाबालिग के हस्ताक्षर भी होंगे.
पहला कदम : नाबालिग बच्चे की तस्वीर और नाम के साथ अभिभावक के नाम से जारी एटीएम कम डेबिट कार्ड से अधिकतम पांच हजार रुपये तक की निकासी या पीओएस के जरिये खरीदारी की जा सकती है.
पहली उड़ान : इस खाते में भी खाताधारक बच्चे की तस्वीर लगी होगी. साथ ही एटीएम कम डेबिट कार्ड से अधिकतम पांच हजार रुपये की निकासी या पीओएस के जरिये खरीदारी की जा सकती है.
पहला कदम और पहली उड़ान खातों को मोबाइल बैंकिंग के जरिये पूछताछ और सीमित लेनदेन के अधिकार दिये गये हैं.
प्रतिदिन अधिकतम दो हजार रुपये तक की सीमा के साथ बिल भुगतान, टॉप अप किया जा सकता है.
पहला कदम और पहली उड़ान खाते के लिए सीमित पूछताछ के अधिकार और लेनदेन जैसे – बिल भुगतान, ई-टर्म डिपॉजिट/ ई-स्पेशल टर्म डिपॉजिट/ ई-रिकरिंग डिपॉजिट, इंटर-बैंक फंड ट्रांसफर (केवल NEFT) और डिमांड ड्राफ्ट जारी किया जा सकता है. हालांकि, प्रतिदिन लेनदेन की सीमा 5000 रुपये है.
पहला कदम खाते के लिए नियमों और शर्तों के साथ फिक्स्ड डिपोजिट के लिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा होगी. वहीं, पहली उड़ान खाते के लिए ओवरड्राफ्ट की सुविधा नहीं होगी.
दोनों खातों पर एक और विकल्प होगा. इसमें आवर्ती जमा के लिए एक स्थायी अनुदेश नि:शुल्क उपलब्ध होगा.
पहला कदम खाते के मामले में माता-पिता या अभिभावक के लिए वैयक्तिक दुर्घटना बीमा कवर उपलब्ध है. यह कवर एसबीआई जनरल द्वारा कवर किया जाता है.
स्मार्ट स्कॉलर बच्चों के सपनों को पूरा करने में सहयोग के लिए इनबिल्ट प्रीमियम की छूट का लाभ और लॉयल्टी एडिशंस के साथ एसबीआई लाइफ का चाइल्ड प्लान है.
पहला कदम और पहली उड़ान दोनों तरह के खातों के केवाईसी के लिए नाबालिग की जन्मतिथि का प्रमाणपत्र के साथ माता-पिता का केवाईसी, आधार या पैन नंबर या फॉर्म 60 देना होगा. वहीं, आवेदक को आधार नंबर नहीं मिला है, तो आधार नंबर के लिए नामांकन के आवेदन का सबूत देना होगा. वहीं, पैन नंबर नहीं दिये जाने पर फॉर्म 60 के साथ एक वैध दस्तावेज की प्रमाणित प्रति देना जरूरी होगा. भारत के निवासी नहीं होने या जम्मू-कश्मीर, असम या मेघालय राज्यों का निवासी का पैन नंबर नहीं होने पर उसे पहचान और पते के विवरण वाला अधिकृत वैध दस्तावेज की प्रमाणित प्रति और नवीनतम फोटोग्राफ देना होगा.
दोनों बचत खातों पर ब्याज की गणना दैनिक शेष के आधार पर की जाती है. खाते की विशेषता है कि खाता संख्या बदले बिना किसी भी एसबीआई की शाखा में खाता का हस्तांतरण किया जा सकता है. विशेष रूप से डिजाइन किये गये पासबुक नि:शुल्क जारी किये जायेंगे. इंटर कोर ट्रांसफर ट्रांजेक्शन के लिए भी कोई शुल्क नहीं देना होता है.
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