सूरत में नवसारी उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एसबीआई को UPI Cyber Fraud के शिकार व्यक्ति को 39,578 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बैंक द्वारा मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं करने के लिए आलोचना की और कहा कि ऐसे मामलों में ग्राहकों को तुरंत सतर्क करना बैंक की जिम्मेदारी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित विधि सुहागिया 22 दिसंबर, 2021 को पहली बार साइबर फ्रॉड का शिकार हुई. उन्होंने अपने एसबीआई के फुवारा शाखा में खाता से 59,078 रुपये गवां दिया. इसके बाद, उन्होंने तुरंत बैंक और पुलिस को सुचना दी. पुलिस ने उनके खाते से निकाल कर फेडरल बैंक के खाते में जमा किये 19,500 रुपये फ्रीज कर दिया. हालांकि, बैंक ग्राहक के बाकि 39,578 रुपये की वसूली नहीं कर सका.
इसके बाद, विधि सुहागिया ने 14 दिसंबर, 2022 को एसबीआई को कानूनी नोटिस भेजा जिसका जवाब नहीं मिला. ऐसे में उन्होंने उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया. कार्रवाई के दौरान उनके वकील ने बताया कि स्टेट बैंक की तरफ से पीड़ित के पैसे को रिकवर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि, उन्हें पता था कि पैसे आईसीआईसीआई बैंक के एक खाते में जमा किया गया है.
Also Read: सोना खरीदते समय ध्यान रखें ये सावधानियां, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसानउपभोक्ता अदालत में बैंक ने कहा कि धोखाधड़ी ग्राहके लापरवाही के कारण हुई है. ग्राहक ने बैंकिंग की दिशा निर्देश का पालन नहीं किया है. बैंक ने दावा किया कि उन्होंने यूपीआई प्राधिकरण से संपर्क किया इससे ग्राहक के पैसे ICICI बैंक में जमा होने की बात पता चली. जिसके बाद खाते को फ्रीज करने की प्रक्रिया की गयी.
कोर्ट ने कहा कि ग्राहक ने बैंक को तुरंत सूचित किया था. मगर, बैंक के द्वारा तुरंत कार्रवाई की गयी थी, यहां इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है. बैंकों के पास उन खातों के बारे में ऑनलाइन विवरण तक पहुंच है जहां पैसा जमा किया गया है वे अन्य बैंकों को भुगतान रोकने या राशि को फ्रीज करने के लिए सूचित कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि बैंक के कारण ग्राहक का वित्तीय नुकसान हुआ है.
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