स्टॉक मार्केट लगातार चौथे दिन हाहाकार : 927 अंक लुढ़का सेंसेक्स, निफ्टी ने 4 महीने की तलहटी में लगाया गोता
सेंसेक्स के शेयरों में बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो, एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक और टाटा स्टील प्रमुख रूप से नुकसान में रहे. सेंसेक्स के तीस शेयरों में से एकमात्र आईटीसी लाभ में रहा.
मुंबई : अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक का ब्योरा आने से पहले निवेशकों के सतर्क रुख की वजह से बुधवार को भारत के घरेलू शेयर बाजारों में लगातार हाहाकार मचा रहा. बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख संवेदी सूचकांक ने 927 अंक तक लुढ़क गया, तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी चार महीने के निचले स्तर पर पहुंचकर तलहट्टी वाला गोता लगाया.
1 फरवरी के बाद सेंसेक्स का सबसे निचला स्तर
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 927.74 अंक यानी 1.53 फीसदी की गिरावट के साथ 59,744.98 अंक पर बंद हुआ. एक फरवरी के बाद यह सेंसेक्स का निचला स्तर है. कारोबार के दौरान एक समय यह 991.17 अंक तक लुढ़क गया था. वहीं, 50 शेयरों पर आधारित नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 272.40 अंक यानी 1.53 फीसदी की गिरावट के साथ चार महीने के निचले स्तर 17,554.30 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी के 47 शेयर नुकसान में रहे.
एशियाई बाजारों में भी गिरावट
सेंसेक्स के शेयरों में बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो, एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक और टाटा स्टील प्रमुख रूप से नुकसान में रहे. सेंसेक्स के तीस शेयरों में से एकमात्र आईटीसी लाभ में रहा. एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख था. अमेरिकी बाजार मंगलवार को नुकसान में रहा था.
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अमेरिका-रूस में शीत युद्ध की आशंका का प्रभाव
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका और रूस में शीत युद्ध के फिर से उभरने से बाजार में विभिन्न आशंकाओं की वजह से गिरावट रही. हालांकि, यह अल्पकालिक प्रभाव है. रूस के खिलाफ पांबदी बढ़ने और अर्थव्यवस्था खासकर खाद्य और तेल निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ी है. बाजार अभी महामारी से उबर रहा है तथा उच्च ब्याज दर एवं मुद्रास्फीति चुनौतियां बनी हुई हैं. ऐसा माना जाता है कि यह लड़ाई आर्थिक मोर्चे पर होगी. भारत और अमेरिका जैसी मजबूत अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव सीमित होगा. निवेशकों को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) और रिजर्व बैंक की बैठक के ब्योरे की प्रतीक्षा है.
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