Success Story: दिलखुश कुमार की कहानी एक असाधारण प्रेरणा है, जो बिहार के एक छोटे से कस्बे से शुरू होकर एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर तय करती है. सीमित शिक्षा के बावजूद, उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और साहस के बल पर “रॉडबेज” नामक एक अनूठा टैक्सी स्टार्टअप शुरू किया. जिसने बिहार में यात्रा को सरल और किफायती बना दिया. उनकी इस यात्रा ने उन्हें करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंचाया और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए, जिससे वह प्रदेश में बदलाव और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गए हैं.
सीमित शिक्षा, असीम सपने
दिलखुश कुमार की औपचारिक शिक्षा केवल 12वीं कक्षा तक ही रही. अपनी इस साधारण शिक्षा के साथ भी उन्होंने सपने देखना नहीं छोड़ा. कठिनाइयों का सामना करते हुए और समाज की प्रतिकूलताओं से जूझते हुए, उन्होंने खुद से कुछ बड़ा करने का संकल्प लिया. उनकी सोच थी कि वे अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
उद्यमिता की शुरुआत
उन्हें अपने राज्य बिहार में बेहतर टैक्सी सेवाओं की कमी महसूस हुई, जिसने उनकी उद्यमिता की सोच को और मजबूती दी. उन्होंने 2016 में “रॉडबेज” नामक एक स्टार्टअप की नींव रखी. उनका यह स्टार्टअप पारंपरिक टैक्सी सेवाओं से अलग था, क्योंकि रॉडबेज एक डेटाबेस कंपनी के रूप में काम करती है, जो ग्राहकों को विश्वसनीय और प्रमाणित टैक्सी ड्राइवरों से जोड़ती है.
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रॉडबेज की अनूठी सेवाएँ
रॉडबेज की सेवा 50 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्राओं के लिए वन-वे टैक्सी, कारपूलिंग और राइड-शेयरिंग की सुविधा प्रदान करती है. रॉडबेज ने बिहार में यात्रा को किफायती और सुविधाजनक बनाने के नए तरीके पेश किए हैं, जिससे राज्य के कई निवासियों का यात्रा अनुभव पूरी तरह बदल गया.
सपनों की राह में चुनौतियाँ
इस सफर में दिलखुश को कई अस्वीकृतियों का सामना करना पड़ा. सुरक्षा गार्ड की नौकरी के लिए आवेदन करने पर उनकी शिक्षा कम होने के कारण उन्हें मना कर दिया गया. एक अन्य इंटरव्यू में iPhone का लोगो पहचानने में असफल रहे क्योंकि उन्होंने इसे पहले कभी नहीं देखा था. इन असफलताओं ने उन्हें निराश नहीं किया बल्कि उनके सपनों को और अधिक मजबूती दी.
व्यवसाय का विस्तार और सफलता
2021 में, उन्होंने एक नया ऐप लॉन्च किया जिससे बिहार के हर शहर को टैक्सी नेटवर्क में जोड़ा जा सके. इस ऐप की सफलता को देखते हुए, उन्होंने 40 लाख रुपये का फंड भी जुटाया. इस ऐप की खास बात यह है कि यदि ड्राइवर की गलती से ग्राहक की फ्लाइट मिस हो जाती है, तो रॉडबेज की ओर से नई टिकट की व्यवस्था की जाती है, जो इसे अन्य कंपनियों से अलग बनाता है.
करोड़ों का टर्नओवर और शार्क टैंक इंडिया में उपस्थिति
दिलखुश कुमार का स्टार्टअप जल्द ही करोड़ों के टर्नओवर पर पहुंच गया. हाल ही में, उन्होंने शार्क टैंक इंडिया में भाग लिया, जहां उन्होंने 5% इक्विटी के बदले 50 लाख रुपये की मांग की. उनकी मेहनत और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर रितेश अग्रवाल और नमिता थापर ने उन्हें 50 लाख रुपये का निवेश दिया, जिसमें 20 लाख रुपये बिना ब्याज और 30 लाख रुपये 5% ब्याज पर दिए गए.
नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना
दिलीप कुमार का सपना अब इस कंपनी को 100 से 150 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचाने का है. उनकी इस यात्रा में उनकी टैक्सियों की संख्या भी बढ़ी है, और वे आने वाले समय में इसे और बढ़ाना चाहते हैं. बिहार के छोटे शहरों तक टैक्सी सेवाएँ पहुंचाना और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर देना उनकी प्राथमिकता है.
एक प्रेरणा की मिसाल
दिलखुश कुमार का जीवन साधारण पृष्ठभूमि से उठकर एक सफल उद्यमी बनने की प्रेरणादायक कहानी है. उन्होंने अपनी मेहनत और जुनून से यह सिद्ध कर दिया कि कड़ी मेहनत और साहस से किसी भी परिस्थिति में सपनों को साकार किया जा सकता है. उनका यह सफर उन सभी के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने और उन्हें पाने की हिम्मत रखते हैं.
रॉडबेज की सफलता ने बिहार के हजारों लोगों को रोजगार का साधन दिया है. उनके द्वारा पेश किए गए अनूठे दृष्टिकोण से यात्रियों को न केवल सस्ती यात्रा का अनुभव मिला, बल्कि उनके अंदर भी एक आत्मनिर्भरता की भावना विकसित हुई है.
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