चीनी खरीदना होगा महंगा, मंत्रिसमूह ने की सिफारिश, इस कारण से सरकार जल्द ले सकती है फैसला
कोरोना संकट काल में बढती महंगाई के कारण बेहाल देश की जनता को जल्द ही एक झटका और लग सकता है. सरकार चीनी की कीमत बढ़ाने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल की अगली बैठक में इस पर फैसला हो सकता है इसके लिए गठित मंत्रिसमूह ने इसकी सिफारिश कर दी है. इसका मकसद गन्ना किसानों के बकाये का शीघ्र भुगतान करना है.
ted Byकोरोना संकट काल में बढती महंगाई के कारण बेहाल देश की जनता को जल्द ही एक झटका और लग सकता है. सरकार चीनी की कीमत बढ़ाने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल की अगली बैठक में इस पर फैसला हो सकता है इसके लिए गठित मंत्रिसमूह ने इसकी सिफारिश कर दी है. इसका मकसद गन्ना किसानों के बकाये का शीघ्र भुगतान करना है. गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने 15 जुलाई को चीनी मिलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दो रुपये बढ़ाकर 33 रुपये प्रति किलोग्राम करने की सिफारिश की थी.
इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ये मिलें अपने लगभग 20,000 करोड़ रुपये के लंबित गन्ने के बकाये का जल्द से जल्द भुगतान कर सकें. बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे. इससे पहले नीति आयोग द्वारा गन्ना और चीनी उद्योग की स्थिति का अध्ययन करने के लिए गठित टास्क फोर्स ने भी चीनी के एमएसपी में बढ़ोतरी की सिफारिश की थी.
सीएनबीसी आवाज के मुताबिक गन्ने की एफआरपी और चीनी की एमएसपी (न्यूनतम बिक्री मूल्य) बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट के पास भेज दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक चीनी की एमएसपी 31 रुपये से बढ़ाकर 33 रुपये प्रति किलोग्राम करने का प्रस्ताव है. वहीं, एफआरपी275 से बढ़ाकर 285 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव है.
एमएसपी बढ़ने से मिलों को 2,200 करोड़ रुपये का फायदा होगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार के इस कदम से अगले सीजन में चीनी मिलों के 1 रुपये प्रति किलो फायदा होने का अनुमान है. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सेक्टर के लिए सॉफ्ट लोन और एक्सपोर्ट सब्सिडी पर भी जल्द फैसला होगा.
Posted By: Utpal kant
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