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15 मार्च तक ओआरओपी की बकाया रकम का कर दें भुगतान, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया निर्देश

केंद्र सरकार ने पिछले दिसंबर महीने में ही सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों को मिलने वाले वन रैंक वन पेंशन के दायरे को विस्तार दिया था. इसके तहत, एक जुलाई 2019 से पहले सेवानिवृत्त हुए सभी सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों को भी इसमें शामिल किया गया है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों की बकाया रकम का भुगतान आगामी 15 मार्च 2023 तक करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि ओआरओपी के सभी प्रकाार के बकाये के भुगतान का काम तेजी से किया जाए. इसके साथ ही, ओआरओपी के बकाये के भुगतान में केंद्र के किसी भी कदम से असंतुष्ट होने की सूरत में अदालत ने पूर्व सैनिक संगठन को आवेदन दाखिल करने की छूट भी दी है.

बकाया राशि के शीघ्र भुगतान का निर्देश

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ओआरओपी के तहत सभी बकाया राशि का भुगतान शीघ्र किया जाए. ओआरओपी के तहत समान वर्ष की सेवा के साथ समान रैंक पर सेवानिवृत्त होने वाले किसी भी दो सैन्य कर्मियों को समान पेंशन मिलनी चाहिए. सर्वोच्च अदालत ने पूर्व सैनिकों के संघ को भी आवेदन दायर करने की छूट दी, अगर वे ओआरओपी बकाया के भुगतान पर केंद्र की किसी भी कार्रवाई से असंतुष्ट हैं.

सरकार ने ओआरओपी का दिसंबर 2022 में दिया विस्तार

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले दिसंबर महीने में ही सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों को मिलने वाले वन रैंक वन पेंशन के दायरे को विस्तार दिया था. इसके तहत, एक जुलाई 2019 से पहले सेवानिवृत्त हुए सभी सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों को भी इसमें शामिल किया गया है. इसके साथ ही, वन रैंक-वन पेंशन का लाभ अब 25 लाख से ज्यादा सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों को मिलेगा. अब तक तक इस स्कीम के तहत 20 लाख सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी और उनके परिवार को ही लाभ मिलता था.

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कब लागू हुआ ओआरओपी

गौरतलब है कि भारतीय सेना से रिटायर हुए सैन्यकर्मियों की ओर से लंबे समय से पेंशन में समानता की मांग की जा रही है. आजादी के बाद से सेना से रिटायर होने वालों को उनकी रिटायरमेंट के समय के नियमानुसार ही पेंशन मिलती रही है. करीब एक साल तक वन रैंक वन पेंशन के मामले को पूर्व सैनिकों के आंदोलन और धरना-प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने 6 सितंबर 2015 को ओआरओपी का ऐलान किया.

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