‘पॉल्यूशन सर्टिफिकेट दिखाए बिना भी गाड़ियों में पेट्रोल पंपों से भरवाए जा सकते हैं फ्यूल’

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में ‘प्रदूषण नियंत्रण में' मानकों का पालन नहीं करने वाले वाहनों को पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं देने संबंधी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का आदेश शुक्रवार को निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि इस अधिकरण को ऐसा आदेश पारित करने और ‘प्रदूषण नियंत्रण में' प्रमाण पत्र के बगैर वाहनों को ईंधन नहीं देने का निर्देश डीलरों और पेट्रोल पंपों को जारी करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अधिकार नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2020 8:47 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में ‘प्रदूषण नियंत्रण में’ मानकों का पालन नहीं करने वाले वाहनों को पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं देने संबंधी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का आदेश शुक्रवार को निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि इस अधिकरण को ऐसा आदेश पारित करने और ‘प्रदूषण नियंत्रण में’ प्रमाण पत्र के बगैर वाहनों को ईंधन नहीं देने का निर्देश डीलरों और पेट्रोल पंपों को जारी करने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अधिकार नहीं है.

पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि जब भी नियमों का उल्लंघन कर पर्यावरण प्रदूषण हो रहा हो, तो पर्यावरण संरक्षण और वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए कठोर उपाय करने चाहिए, लेकिन ऐसा कानून के अनुसार ही होना चाहिए. अदालत ने कहा कि ‘प्रदूषण नियंत्रण में’ प्रमाण पत्र नहीं रखने वाले वाहनों की ईंधन आपूर्ति रोकने का प्रावधान 1989 के केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों या राष्ट्रीय हरित अधिकरण कानून में नहीं है.

अदालत ने कहा कि वैध प्रदूषण नियंत्रण में प्रमाण पत्र रखने की अनिवार्यता का पालन नहीं करने वाले मोटर वाहनों को ईंधन की आपूर्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालत ने कहा कि इस तरह का आदेश देते समय या यह सुनिश्चित करने के लिए कि पीयूसी प्रमाण के बगैर वाहनों को ईंधन की आपूर्ति नहीं हो, अधिकरण ने इस तथ्य की अनदेखी की कि बगैर ईंधन के किसी भी वाहन में प्रदूषण स्तर की जांच नही हो सकती है.

पीठ ने कहा कि हरित अधिकरण को अपने आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने के लिए 25 करोड़ रूपए जमा कराने का मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश देने का भी कोई अधिकार नहीं था. पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अधिकरण अपने आदेश पर अमल सुनिश्चित कराने के लिए धन जमा कराने का निर्देश दे.

हरित अधिकरण के 21 अप्रैल 2015 के आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर यह फैसला आया है. अधिकरण ने निर्देश दिया था कि प्रदूषण नियंत्रण में प्रमाण पत्र नहीं रखने वाले मोटर वाहनों का पंजीकरण प्रमाण पत्र निलंबित या रद्द किया जाए. अधिकरण की भोपाल पीठ ने यह भी कहा था कि ऐसे वाहनों को कोई भी डीलर या पेट्रोल पंप ईंधन की आपूर्ति नहीं करेगा. अधिकरण ने बाद में इस आदेश पर पुनर्विचार की राज्य सकार की अपील भी खारिज कर दी थी और उसे अधिकरण के रजिस्ट्रार के पास 25 करोड़ रुपये जमा कराने की शर्त पर इस आदेश के अनुपालन के लिए 60 दिन का वक्त दिया था.

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Posted By : Vishwat Sen

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