नई दिल्ली : स्पाइसजेट और क्रेडिट सुइएस एजी के साथ वित्तीय विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी है. इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने कंपनी को इन तीन हफ्तों के अंदर वित्तीय विवाद सुलझाने का आदेश दिया है. स्पाइसजेट पर वित्तीय कंपनी क्रेडिट सुइस एजी का 180 करोड़ रुपये बकाया है. कंपनी का दावा है कि वह क्रेडिट सुइस के साथ अपने बकाया पर विवाद को सुलझाना चाहती है.
बताते चलें कि स्पाइसजेट का यह मामला करीब एक दशक पुराना है. स्पाइसजेट ने 2011 में स्विट्जरलैंड की कंपनी एसआर टेक्निक्स को अपने विमान और उनके इंजन की मेंटनेंस का काम दिया था. स्पाइसजेट ने उस समय इस काम के लिए तय रकम नहीं चुका सकी. 2012 में क्रेडिट सुइस और एसआर टेक्निक्स के बीच एक समझौता हुआ. इसके तहत एसआर टेक्निक्स ने स्पाइसजेट से बकाया रकम हासिल करने का अधिकार क्रेडिट सुइस को दे दिया. इस तरह इस मामले में क्रेडिट सुइस की एंट्री हुई.
क्रेडिट सुइस ने स्पाइसजेट की ओर से बकाया भुगतान में लगातार देर होने पर 2015 में कंपनी के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. उसने याचिका में स्पाइसजेट को बंद करने की मांग की. तब स्पाइसजेट के वकीलों ने क्रेडिट सुइस की याचिका को खारिज कराने की भरसक कोशिश की. एयरलाइंस ने कहा कि एसआर टेक्निक्स ने जो बिल ऑफ एक्सचेंज तैयार किया था, उसमें कई तकनीकी खामियां थीं. इसलिए इसे भारत में लागू नहीं कराया जा सकता.
स्पाइसजेट ने यह भी कहा कि क्रेडिट सुइस क्रेडिटर (पैसा उधार देने वाला) नहीं है. डेटर (पैसा उधार लेने वाला) और क्रेडिटर के बीच किसी तरह का कॉन्ट्रैक्चुअल रिलेशनशिप नहीं होने से स्पाइसजेट को बंद कराने की याचिका का कोई आधार नहीं है. स्पाइसजेट ने एसआर क्रेडिट सुइस की याचिका के खिलाफ यह भी दलील दी कि एसआर टेक्निक्स भारत में एयरलाइंस कंपनियों के रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन के यहां रजिस्टर्ड नहीं है.
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हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने एक जज ने स्पाइसजेट की दलीलों को खारिज कर दी. उन्होंने क्रेडिट सुइस के पक्ष में फैसला सुनाया. उन्होंने यह भी कहा कि स्पाइसजेट ने एसआर टेक्निक्स की सेवाएं लेनी जारी रखी है. इसलिए वह अब अपना रुख बदल नहीं सकती. जज ने स्पाइसजेट की परिसंपत्तियों को जब्त करने का अधिकार एक ऑफिशियल लिक्विडेटर को दे दिया.
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