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‘आम आदमी की दिवाली सरकार के हाथ में, जल्द माफ किया जाए लोन मोरेटोरियम पर ब्याज’

ऋण स्थगन योजना पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम आदमी की दिवाली अब सरकार के हाथ में है. इसलिए ऋण स्थगन पर ब्याज माफी जल्द लागू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आरबीआई की ऋण स्थगन योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों के लिए ब्याज माफी पर केंद्र को जल्द से जल्द अमल करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आम आदमी की दिवाली सरकार के हाथ में है.

नयी दिल्ली : ऋण स्थगन योजना पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम आदमी की दिवाली अब सरकार के हाथ में है. इसलिए ऋण स्थगन पर ब्याज माफी जल्द लागू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आरबीआई की ऋण स्थगन योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों के लिए ब्याज माफी पर केंद्र को जल्द से जल्द अमल करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आम आदमी की दिवाली सरकार के हाथ में है.

आम आदमी तक कैसे पहुंचेगा ब्याज माफी का लाभ?

शीर्ष अदालत ने केंद्र से जानना चाहा कि क्या ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्जदारों के दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफी का लाभ आम आदमी तक पहुंचेगा? कोर्ट ने टिप्पणी की कि उसकी चिंता इस बात को लेकर है कि ब्याज माफी का लाभ कर्जदारों को कैसे दिया जायेगा?

सरकार का फैसले का स्वागत, मगर प्राधिकारियों आदेश जारी क्यों नहीं किया?

कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने आम आदमी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ‘स्वागत योग्य निर्णय’ लिया है, लेकिन इस संबंध में प्राधिकारियों ने अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में कुछ ठोस करना होगा. दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज का लाभ देने पर यथाशीघ्र अमल होना चाहिए.

अब दिवाली आपके हाथ में

शीर्ष अदालत ने इस मामले को दो नवंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए केंद्र और बैंकों की ओर से पेश अधिवक्ताओं से कहा कि ‘अब दिवाली आपके हाथ में है.’

सरकार ने उठाया ये कदम

केंद्र सरकार ने हाल ही में अदालत को सूचित किया था कि छह महीने के लिए ऋण की किस्त स्थगन सुविधा लेने वाले दो करोड़ रुपये तक के कर्जदारों के चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि अब तक घोषित किए जा चुके राजकोषीय राहत उपायों से आगे बढ़कर किसी भी घोषणा से अर्थव्यवस्था को ‘‘नुकसान” पहुंच सकता है और हो सकता है कि बैंक इन ‘अपरिहार्य वित्तीय बाधाओं’ का सामना न कर सकें.

सिर्फ हलफानामा?

पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आम आदमी की परेशानियों के संदर्भ में सरकार ने स्वागत योग्य फैसला लिया है, लेकिन आपने इस बारे में अभी तक किसी को कोई आदेश जारी नहीं किया है। आपने सिर्फ हलफनामा ही दिया है. पीठ ने कहा कि अब हमारी चिंता यह है कि ब्याज माफी का यह लाभ कैसे दिया जाएगा. हम सिर्फ यही जानना चाहते हैं कि क्या कर्ज पर ब्याज माफी नीचे तक गई है या नहीं.

सरकार के कदम पर आशंका निर्मूल

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने फैसला लिया है और उसने बहुत बड़ा भार वहन किया है. मेहता ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने हलफनामे पर कहा है कि इसे लागू किया जाएगा, तो इस बारे में किसी प्रकार की आशंका नहीं होनी चाहिए.

ब्याज के ब्याज पर सुनवाई कर रहा है कोर्ट

शीर्ष अदालत 27 मार्च को रिजर्व बैंक द्वारा जारी अधिसूचना में ऋण स्थगन की अवधि के दौरान कर्ज की राशि पर ब्याज वसूलने के हिस्से को अवैध घोषित करने सहित कई मुद्दों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने पांच अक्टूबर को केंद्र और रिजर्व बैंक से कहा था कि वे कोविड-19 की वजह से विभिन्न क्षेत्रों पर पड़े दबाव के मद्देनजर कर्ज पुनर्गठन के बारे में केवी कामत समिति की सिफारिशों और कर्ज की किस्त स्थगन के मुद्दे पर उनके द्वारा जारी अधिसूचनाएं और परिपत्र उसके समक्ष पेश करें.

इसके बाद, रिजर्व बैंक ने 10 अक्टूबर को न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा था कि छह महीने की अवधि से आगे किस्त स्थगन को बढ़ाने से ‘‘समग्र ऋण अनुशासन के खत्म होने” की स्थिति बन सकती है और इस वजह से अर्थव्यवस्था में ऋण निर्माण की प्रक्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा.

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Posted By : Vishwat Sen

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