नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कॉमर्शियल माइनिंग नीलामी के लिए 41 कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर अगले सप्ताह सुनाई की जाएगी. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका पर झारखांड सरकार द्वारा केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाले वाद के साथ ही सुनवाई की जाएगी.
झारखंड सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर इस याचिका में केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने कॉमर्शियल माइनिंग के लिए कोल ब्लॉकों की नीलामी के बारे में राज्य सरकार से परामर्श के बगैर ही एकतरफा घोषणा की है. इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही झारखंड की ओर से पेश वकील ने पीठ को सूचित किया कि राज्य ने इसी मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ अलग से याचिका दायर की है और दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई की जानी चाहिए.
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया जाए. याचिकाकर्ता के एडवोकेट ऑन रिकार्ड द्वारा लिखे गये पत्र के मद्देनजर इस याचिका को उसके साथ ही संलग्न कर दिया जाए. झारखंड में कॉमर्शियल के लिए 41 कोल ब्लॉक की डिजिटल नीलामी करने की केंद्र सरकार की कार्रवाई को चुनौती देते हुए दायर याचिका के तुरंत बाद ही राज्य सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत अपना अलग से वाद प्रस्तुत कर दिया.
इस याचिका में राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान ही केंद्र द्वारा इस तरह से नीलामी करना अनुचित है, क्योंकि राज्य और केंद्र की सारी मशीनरी इस समय खतरनाक संक्रमण की वजह से जनता के सामने उत्पन्न परेशानियों से निबटने में व्यस्त है. इसमें कहा गया है कि झारखंड की सीमा में स्थित नौ कोल ब्लॉक की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के केंद्र की कार्रवाई को मनमाना और गैरकानूनी बताने के लिए ही यह याचिका दायर की गयी है.
इस याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी (केंद्र) ने याचिकाकर्ता से परामर्श के बगैर ही नीलामी की एकतरफा घोषणा की है. याचिकाकर्ता राज्य उसकी सीमा के भीतर स्थित इन खदानों और खनिज संपदा का मालिक है. इसमें कहा गया है कि फरवरी, 2020 की बैठक का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इसमें कोविड-19 की वजह से बदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में नहीं रखा गया है. कोविड-19 महामारी ने देश को ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में अभूतपर्वू ठहराव ला दिया है. उसकी वजह से नये सिरे से याचिकाकर्ता के साथ परामर्श की आवश्यकता है.
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याचिका में पांच और 23 फरवरी को हुई बैठकों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि केंद्र ने राज्य द्वारा उठाई गयी आपत्तियों पर विचार नहीं किया है. इसी तरह याचिका में संविधान की पांचवीं अनुसूची का जिक्र करते हुए कहा गया है कि झारखंड में नौ कोल ब्लॉक में से छह (चकला, चितरपुर, उत्तरी ढाडू, राजहर उत्तर, सेरगढ़ और उर्मा पहाड़ीटोला) जिन्हें नीलामी के लिए रखा गया है, पांचवी अनुसूची के इलाके हैं.
इसमें कहा गया है कि झारखंड की 3,29,88,134 आबादी में से 1,60,10,448 लोग आदिवासी इलाकों में रहते हैं. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि केन्द्र की कार्रवाई पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करती है और इससे राज्य के पर्यावरण, वन और जमीन को अपूरणीय क्षति होगी. याचिका के अनुसार, मौजूदा स्थिति नीलामी के अनुरूप नहीं है, क्योंकि यह विकास की गिरती दर और कमजोर आर्थिक स्थिति से प्रभावित होगी. याचिका में कहा गया है कि राज्य से उचित तरीके से परामर्श और तालमेल के बगैर ही नीलामी के लिए 18 जून से निविदा प्रक्रिया शुरू करना अनुचित है.
Posted By : Vishwat Sen
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