Loan Moratorium पर सुप्रीम कोर्ट अब कल करेगा सुनवाई, EMI पर ब्याज माफ करने के लिए दायर है याचिका
Loan Moratorium : सुप्रीम कोर्ट ने ऋण अधिस्थगन (Loan Moratorium) मामले में बैंकों द्वारा लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान स्थगित किस्त (EMI Moratorium) लगाए जाने वाले ब्याज पर हो रही सुनवाई को कल तक यानी 14 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है. इस मामले की सुनवाई शुरू होने के पहले ही कोर्ट ने कहा कि आज उसे अन्य 24 मामलों की सुनवाई करनी है. इन अन्य 24 मामलों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोराटोरियम के मामले को कल तक के लिए टाल दिया.
Loan Moratorium : सुप्रीम कोर्ट ने ऋण अधिस्थगन (Loan Moratorium) मामले में बैंकों द्वारा लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान स्थगित किस्त (EMI Moratorium) लगाए जाने वाले ब्याज पर हो रही सुनवाई को कल तक यानी 14 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है. इस मामले की सुनवाई शुरू होने के पहले ही कोर्ट ने कहा कि आज उसे अन्य 24 मामलों की सुनवाई करनी है. इन अन्य 24 मामलों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोराटोरियम के मामले को कल तक के लिए टाल दिया.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूबर तक केंद्र से नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. तीन जजों की बेंच ने यह सुनवाई की थी, जिसकी अध्यक्षता अशोक भूषण ने की थी. इसके साथ ही कोर्ट ने बैंको से यह भी कहा था कि फिलहाल वे अभी एनपीए घोषित नहीं करें.
हालांकि, केंद्र सरकार ने इससे पहले भी लोन मोराटोरियम से संबंधित हलफनामा दाखिल किया था, लेकिन कोर्ट ने कहा था कि हलफनामा संतोषजनक नहीं है. अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि दो करोड़ रुपये तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज माफ किया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ब्याज में जो राहत देने की बात कर रही है, उसमें आरबीआई की ओर से किसी प्रकार का दिशानिर्देश नहीं दिया गया था.
बता दें कि आरबीआई ने मार्च में तीन महीने के लिए मोराटोरियम का ऐलान किया था. इसके लिए दिशानिर्देश जारी करते हुए आरबीआई ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण अगर कोई लोन की ईएमआई नहीं चुका पा रहा है, तो उस लोन को एनपीए नहीं माना जाएगा. बाद में इस मोराटोरियम पीरियड को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया. इस कदम का मकसद कोरोना वायरस महामारी कर्जदारों की मदद करना था.
हालांकि, बाद में ईएमआई चुकाने वालों को ईएमआई पर भी ब्याज देना पड़ रहा है, जिससे कुल मिलाकर उन पर बोझ कम होने की बजाय बढ़ गया है. इसी अतिरिक्त ब्याज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को सुनवाई के दौरान बैंकों को निर्देश दिया था कि जब तक इस मामले की सुनवाई नहीं हो जाती, वह इन बकाया लोन को एनपीए एनपीए घोषित नहीं कर सकते.
इसके बाद 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह ईएमआई पर लगने वाला ब्याज (कंपाउंड इंटरेस्ट) माफ कर सकता है. हालांकि, सरकार ने साफ कहा था कि वह व्यक्तिगत और एमएसएमई को मिलाकर सिर्फ 2 करोड़ रुपये तक का ही लोन माफ कर सकता है. इसके बाद केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट वित्तीय मामलों में दखल न दे. इस मामले पर सरकार का एकाधिकार है.
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Posted By : V9shwat Sen
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