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Tata Group IPO: आने वाला है टाटा समूह के ऑटो कंपोनेंट का आईपीओ! जानें क्या है इस साल कंपनी की योजना

Tata Group IPO: टाटा समूह अपने ऑटो कंपोनेंट विनिर्माण व्यवसाय टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स (TACO) को IPO के माध्यम से सूचीबद्ध करने पर विचार कर रहा है.

Tata Group IPO: पिछले साल करीब दो दशकों के इंतजार के बाद, टाटा ग्रुप की टाटा टेक्नोलॉजी का आईपीओ बाजार में आया. इसकी जबरदस्त लिस्टिंग से निवेशकों को काफी फायदा हुआ. अगर आप इस में पैसा लगाने से चूक गए थे तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. इस साल फिर से टाटा ग्रुप का एक आईपीओ बाजार में आ सकता है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा समूह अपने ऑटो कंपोनेंट विनिर्माण व्यवसाय टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स (TACO) को IPO के माध्यम से सूचीबद्ध करने पर विचार कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती चरण में टाटा ग्रुप का फोकस इस बात पर है कि कौन-कौन से संस्थान टीएसीओ में अपनी हिस्सेदारी और आईपीओ में हिस्सेदारी की कुल मात्रा को बेचेंगे. हालांकि, इसके बारे में कंपनी के द्वारा कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. संभावना जतायी जा रही है कि अगर समुह आईपीओ बाजार में लेकर आती है तो ये टाटा टेक्नोलॉजी की तरह इसे भी निवेशकों का उत्साह प्राप्त होगा.

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क्या करती है टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स

बता दें कि साल 1995 में स्थापित, TACO ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र में टाटा समूह के उद्यमों के लिए वाहन के रूप में कार्य करता है. टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स का पूर्ण स्वामित्व टाटा समूह की संस्थाओं के पास है, जिसमें टाटा संस की लगभग 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है. कंपनी की बाकी हिस्सेदारी टाटा इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास है. ये कंपनी आंतरिक प्लास्टिक और कंपोजिट, रेडिएटर, एग्जॉस्ट सिस्टम, बैटरी, स्टांपिंग, सस्पेंशन, सीटिंग, मिरर असेंबली, ईवी पावरट्रेन, ईवी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम और इंजन कूलिंग सिस्टम सहित सेगमेंट का उत्पादन करती है. अगस्त 2023 में, कंपनी ने रेलवे, मेट्रो और बस खंडों के लिए घटकों के उत्पादन के लिए स्कोडा समूह के साथ एक प्रारंभिक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया था. इस साझेदारी के माध्यम से, टाटा समूह की ऑटो कंपोनेंट शाखा का लक्ष्य बढ़ते भारतीय रेलवे और सार्वजनिक गतिशीलता बाजार में विस्तार करना था. कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में बेहतर प्रॉफिट गेन किया था.

आईपीओ क्या होता है

आईपीओ का पूरा नाम Initial Public Offering है. यह एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें किसी प्राइवेट कंपनी ने अपने स्टॉक के खुले बाजार में निवेशकों के लिए प्रस्तावना जारी करने का निर्णय लिया होता है. यह उस कंपनी के लिए पहली बार होता है जब वह खुले बाजार में अपने शेयरों को बेचने के लिए जाती है. जब एक कंपनी आईपीओ जारी करती है, तो वह अपने शेयरों का प्रचार प्रसार करती है और इंवेस्टर्स को अपने शेयरों को खरीदने का मौका देती है. आईपीओ के माध्यम से कंपनी उसके स्टॉक को सार्वजनिक और न्यूजीज माध्यमों के माध्यम से निवेशकों के लिए उपलब्ध कराती है ताकि वे उसे खरीद सकें. आईपीओ के माध्यम से कंपनी अधिकतर अपने स्टॉक के लिए नए निवेशकों को खींचने की कोशिश करती है और इसके माध्यम से कंपनी अधिकतर पूंजी एकत्र करके अपने विकास और वित्तीय योजनाओं को पूरा करती है. यह निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प होता है क्योंकि यह उन्हें एक सार्वजनिक कंपनी के मालिक बनाने का अवसर प्रदान करता है.

सेकेंड हैंड आईपीओ का बाजार है ग्रे मार्केट

ग्रे मार्केट को आसान शब्दों में IPO का सेकेंड हैंड बाजार कहा जा सकता है. इसका अर्थ है कि आईपीओ जारी होने के बाद आप सीधे शेयर बाजार से खरीदारी करने के बजाये किसी निवेशक जिसने पहले से कंपनी में निवेश कर रखा है उससे आईपीओ की खरीदारी करते हैं. इस ग्रे मार्केट में सबसे बड़ी परेशानी ये आती है कि इसमें काम करने वाले सेलर, ब्रोकर और ट्रेडर कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं होते हैं. इस बाजार में कोई नियम कानून नहीं है. केवल भरोसे और व्यक्तिगत बातचीत पर कारोबार होता है. वहीं, पैसे फंसने पर रिकवरी भी आपको खुद अपने माध्यम से ही करनी पड़ती है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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