Tax चोरी करने पर हो सकती है 7 साल तक की सजा, आयकर की इस धारा में है सख्त प्रावधान
आयकर की धारा 276 सी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति 25 लाख रुपये से अधिक का टैक्स छुपाने का प्रयास करता है, तो उसे छह महीने की न्यूनतम सजा हो सकती है, जबकि इस अपराध में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है. हालांकि, आयकर की धारा 276 सी (2) में छुपाया गया टैक्स 25 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो टैक्सपेयर को कम से कम 3 महीने और अधिकतम 2 साल की सजा का प्रावधान है.
Tax evasion : अगर आप टैक्सपेयर हैं और समय पर टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं या टैक्स, जुर्माने या ब्याज की रकम को कम कराने या फिर अपनी इनकम को रिपोर्ट करने में किसी तरीके से धोखाधड़ी का प्रयास करते हैं, तो आयकर नियमों के तहत कम से कम 3 महीने से लेकर 7 साल तक जेल की सजा हो सकती है. इतना ही नहीं, टैक्स चोरी करने पर केवल अधिकतम 7 साल की सजा से ही आपको मुक्ति नहीं मिल जाएगी, बल्कि जुर्माने का भी भुगतान करना पड़ेगा. जानबूझकर टैक्स चोरी करने के मामले में आयकर अधिनियम की धारा 276 सी के तहत सजा का प्रावधान है.
क्या कहती है आयकर की धारा 276 सी : आयकर की धारा 276 सी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति 25 लाख रुपये से अधिक का टैक्स छुपाने का प्रयास करता है, तो उसे छह महीने की न्यूनतम सजा हो सकती है, जबकि इस अपराध में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है. हालांकि, आयकर की धारा 276 सी (2) में छुपाया गया टैक्स 25 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो टैक्सपेयर को कम से कम 3 महीने और अधिकतम 2 साल की सजा का प्रावधान है.
कब होती है जेल की सजा : आयकर की धारा 276 सी के तहत किसी के खिलाफ मामाला तभी दर्ज कराया जा सकता है, जब उसने जानबूझकर टैक्स छुपाया हो या उसका भुगतान नहीं किया हो या फिर टैक्सपेयर जानबूझकर खाते से संबंधित किसी किताब या दस्तावेज में इसका उल्लेख न किया हो. इसके अलावा, अब खाते से संबंधित किसी किताब या दस्तावेज में गलत जानकारियां दर्ज कराने पर संबंधित व्यक्ति को जेल की हवा खानी पड़ सकती है.
टैक्सपेयर का पक्ष सुने बिना अभियोजन नहीं होता शुरू : इसके अलावा, अन्य कोई ऐसी गतिविधि जिससे यह साबित होता हो कि टैक्सपेयर ने टैक्स छुपाने की कोशिश की है, तो उसे जेल जाना पड़ सकता है. हालांकि, आयकर नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति को उसका पक्ष रखने का अवसर दिये बिना उस पर किसी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया जा सकता, कोई अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता और न ही जेल की सजा दी जा सकती है.
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Posted By : Vishwat Sen
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