Tax: आयकर विभाग ने 31 दिसंबर 2024 तक 90,000 वेतनभोगी करदाताओं द्वारा किए गए 1,070 करोड़ रुपये के गलत कर छूट दावों का पता लगाया है. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के करदाताओं ने गलत कटौती का दावा करते हुए आयकर विभाग को गुमराह किया था. विभाग के निरंतर जांच और कार्रवाई के कारण इन दावों को वापस लिया गया.
ऐसे पता चला गलत कर छूट के दावों का पता
आयकर विभाग द्वारा विभिन्न खोज, जब्ती और सर्वेक्षण कार्यों के दौरान यह सामने आया कि कई करदाता आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत फर्जी कटौती का दावा कर रहे थे. इनमें मुख्य रूप से धारा 80सी, 80डी, 80ई, 80जी, 80जीजी, 80जीजीबी, और 80जीजीसी के तहत छूट शामिल थी. विभाग ने पाया कि ये करदाता सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बड़ी प्राइवेट कंपनियों और अन्य संगठनों के कर्मचारी थे.
अनियमितताओं का खुलासा
- विश्लेषण: आयकर विभाग को इस प्रकार की गड़बड़ी का विश्लेषण से पता चला है.
- धारा 80जीजीबी और 80जीजीसी: करदाताओं की ओर से दावा की गई कटौतियों और उनके वास्तविक आंकड़ों में भारी अंतर था.
- धारा 80सी, 80ई और 80जी: इनके तहत किए गए कई दावे संदिग्ध पाए गए.
- कंपनी स्तर की गड़बड़ी: कई मामलों में यह देखा गया कि बड़ी संख्या में दावे एक ही कंपनी के कर्मचारियों की ओर से किए गए थे.
गलत दावे वापस लेने की प्रक्रिया
- आयकर विभाग ने करदाताओं को उनकी त्रुटियों को सुधारने के लिए प्रोत्साहित किया.
- आयकर विभाग ने नियोक्ताओं के साथ बैठकें की.
- कर्मचारियों को गलत दावों के परिणामों के बारे में जागरूक किया.
- स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा दिया.
आयकर विभाग की इस पहल के तहत करदाता आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार संबंधित आकलन वर्ष के दो साल के भीतर अपेडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और अतिरिक्त कर का भुगतान कर सकते हैं.
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सुधारात्मक उपाय और भविष्य की योजनाएं
- आयकर विभाग ने नियोक्ताओं और करदाताओं के बीच पारदर्शिता बढ़ाने के लिए विशेष बैठकें आयोजित की हैं.
- आयकर विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि फर्जी कटौती के दावे रोके जाएं.
- आयकर अनुपालन बढ़े.
- मुकदमेबाजी कम हो.
विभाग का यह कदम स्वैच्छिक कर अनुपालन को बढ़ावा देने और सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई के उद्देश्य से उठाया गया है.
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