Tax Saving Investment: नौकरीपेशा लोग अक्सर टैक्स सेविंग के लिए विकल्प की तलाश में रहते है. अगर आप भी कुछ ऐसा प्लान कर रहे है, तो ये खबर आपके बेहद काम की है. यहां बताते चलें कि नौकरीपेशा व्यक्तियों की सैलरी टैक्स के दायरे में आती है और उन्हें वित्त वर्ष के खत्म होने से पहले ही निवेश की प्लानिंग कर लेनी चाहिए. दरअसल, आप टैक्स सेविंग स्कीम में 31 मार्च, 2023 तक निवेश कर आईटीआर के दौरान डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
ऐसे में आपके लिए यह जरूरी हो जाता है कि आप जल्द से जल्द टैक्स सेविंग के लिए किसी सही जगह अपना पैसा लगा दें. हम आपको कुछ ऐसी स्कीम्स के बारे में बताने जा रहे है, जहां निवेश करने पर आपकी बचत होगी. साथ ही आप इनकम टैक्स छूट का फायदा भी उठा सकेंगे. इन स्कीम्स में PPF, EPF, ELSS, NSC आदि शामिल हैं.
एक्सपर्ट्स की मानें तो निवेश के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) बेहतर विकल्प है. इस स्कीम में निवेश करने पर आपको इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा मिलता है, जिसकी लिमिट डेढ़ लाख रुपए है. वहीं, इसका लॉक-इन पीरियड तीन साल है. एक्सपर्ट्स इसमें लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह देते हैं, ताकि आपको कम्पाउंडिंग का लाभ मिल सके. इस स्कीम का पैसा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है.
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम के तहत 80 प्रतिशत इक्विटी में निवेश किया जाता है. फंड का पैसा अलग-अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों, थीम्स और सेक्टर्स में निवेश किया जाता है. ईएलएसएस के लिए तीन साल का समय लॉक-इन पीरियड है. उसके आगे भी निवेशक बना रह सकता है. इसमें कम से कम पांच सौ रुपए से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसके अलावा एसआईपी (SIP) की भी सुविधा है.
टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड की मदद से टैक्स बचाने में मदद जरूर मिलती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि निवेश से पहले किसी तरह की प्लानिंग नहीं की जाए. एक्सपर्ट्स जल्दबाजी में टैक्स सेविंग के चक्कर में एकमुश्त निवेश नहीं करने की सलाह देते हैं. अगर बाजार में तेजी है और उस समय निवेश करेंगे तो आपका नुकसान हो सकता है. ऐसे में सही वक्त पर उचित योजना के साथ निवेश की शुरुआत करने की सलाह दी जाती है.
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