TDS on Dividends: इक्विटी शेयरों या किसी म्यूचुअल फंड स्कीम पर मिलने वाले डिविडेंड से कमाई पर अब डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (DDT) नहीं लगता, बल्कि इसपर टीडीएस (TDS) काटा जाता है. बताते चलें कि 31 मार्च, 2020 से पहले इक्विटी शेयरों और म्युचुअल फंडों पर मिलने वाला डिविडेंट टैक्स फ्री होता था, लेकिन 1 अप्रैल 2020 के बाद से डिविडेंट टैक्स के दायरे में आ गया है और इसी के साथ उसके ऊपर टीडीएस भी लागू कर दिया गया है.
आयकर कानून के तहत, अगर एक साल में प्राप्त डिविडेंट 5000 से ज्यादा हुआ तो उसपर 10 फीसदी टीडीएस लगेगा. साथ ही डिविडेंड को दोबारा निवेश करने पर भी TDS कटेगा. इसके अलावा, इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी जानकारी देनी होगी. इसके लिए इनकम टैक्स ऐक्ट में सेक्शन 194K जोड़ा गया है. वहीं, 60 साल से कम उम्र वाले फॉर्म 15G का फायदा ले सकते है. सीनियर सिटीजन फॉर्म 15G और 15H के जरिए डिविडेंड पर टीडीएस बचा सकते है. ध्यान रहें कि PAN नहीं होने की स्थिति में 20 प्रतिशत टीडीएस कटेगा.
अगर आपने शेयर या म्यूचुअल फंड्स से मिले डिविडेंड पर TDS कटाया है तो टैक्स डिडक्शन के लिए आप फॉर्म 15G या फॉर्म 15H सीधे कंपनी में जमा करा सकते हैं. वहीं, म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर डिविडेंड पेआउट ऑप्शन के मामले में आप इस फॉर्म को सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनी या उनके रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट के पास जमा करा सकते हैं. बता दें कि फॉर्म 15G या फॉर्म 15H को कंपनियों, AMCs या RTAs की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन सब्मिट किया जा सकता हैं. इसके लिए आपको अपनी डिटेल्स जैसे पैन नंबर, फंड हाउस का नाम, फोलियो नंबर आदि भरने होंगे. इससे आप डिविडेंड इनकम पर TDS कटाने से बच जाएंगे. इनकम टैक्स ऐक्ट के मुताबिक, 15G या फॉर्म 15H वहीं लोग जमा कर सकते हैं, जिनकी आय एग्जेंप्शन लिमिट से कम है.
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