Veg Thali Price: बढ़ी महंगाई के बीच आमलोगों को राहत देने वाली खबर सामने आ रही है. खाद्य सामग्रियों के दाम कम होने से मांसाहारी और शाकाहारी थाली की कीमत कम हो गयी है. बताया जा रहा है कि टमाटर की गिरती कीमतों के चलते भारत में शाकाहारी (Veg Thali) और मांसाहारी (Non-Veg Thali) थालियों की कीमत में सितंबर में मासिक आधार पर गिरावट आई है. बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के भोजन की थाली की लागत के मासिक संकेतक में रोटी चावल दर (आरआरआर) के अनुसार, सितंबर में शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमत पिछले महीने की तुलना में क्रमशः 17 प्रतिशत और नौ प्रतिशत की गिरावट आई. टमाटर की कीमत मासिक आधार पर 62 प्रतिशत घटकर सितंबर में 39 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई. अगस्त में टमाटर 102 रुपये प्रति किलोग्राम पर था. यह थाली की कीमतों में गिरावट का एक प्रमुख कारण है. रिपोर्ट के अनुसार, सालाना आधार पर सितंबर में शाकाहारी थाली की कीमत में एक प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है. वहीं गेहूं और पाम तेल की ऊंची कीमतों के कारण मांसाहारी थाली की कीमत में 0.65 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई.
रिपोर्ट में बताया गया कि सितंबर में प्याज की कीमतें मासिक आधार 12 प्रतिशत बढ़ीं और इसके इस पर ही स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि 2023 में खरीफ का उत्पादन कम रहने के आसार हैं. ईंधन के दाम का शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कुल लागत में क्रमशः 14 प्रतिशत और आठ प्रतिशत योगदान रहता है. इसमें सितंबर में क्रमिक रूप से 18 प्रतिशत की गिरावट आई, क्योंकि 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये से घटकर 903 रुपये हो गई.
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अगस्त में 24 प्रतिशत बढ़े थे थाली के दाम
अगस्त के महीने में महंगी टमाटर, प्याज, अदरक और हरी मिर्च के कारण पूरी थाली का जायका खराब हो गया था. टमाटर की ऊंची कीमतों के कारण अगस्त में शाकाहारी थाली की कीमत एक साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ गई थी. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट में कहा गया था कि जुलाई की तुलना में लागत में थोड़ी कमी आई थी. अगस्त में उच्च आधार पर शाकाहारी थाली की कीमत में माह-दर-माह मामूली गिरावट आई थी और मुख्य रूप से टमाटर की कीमतों में मजबूती के कारण इस वित्त वर्ष में दूसरी बार इसमे सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई है. इसमें कहा गया है कि मांसाहारी थाली की कीमत साल-दर-साल आधार पर 13 प्रतिशत बढ़ी थी.
रिजर्व बैंक महंगाई दर को चार प्रतिशत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध: गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि आरबीआई जोखिमों पर नजर रखेगा, क्योंकि कीमतों के प्रबंधन पर कई बार वैश्विक आपूर्ति से संबंधित झटके लग सकते हैं. शक्तिकांत दास ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में एक व्याख्यान में कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क है कि मुद्रास्फीति के संबंध में एक घटना का दूसरी घटना पर और ऐसे ही क्रमिक प्रभाव (Second Order Effect) न पड़ सकें. सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमें ऊपर-नीचे की ओर दो प्रतिशत तक घट-बढ़ हो सकती है.
खाद्य कीमतों का झटका से बढ़ी मुद्रास्फीति
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बार-बार खाद्य कीमतों का झटका लगने की घटनाएं मुद्रास्फीति के स्थिर होने में जोखिम पैदा करती हैं. ऐसा फरवरी 2022 से चल रही है. हम इस पहलू पर भी नजर रखेंगे. उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई की गंभीरता और अवधि को सीमित करने में सरकार द्वारा लगातार और समय पर किए गए आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में मूल्य स्थिरता के लिए किसी भी जोखिम के प्रति सतर्क रहना होगा और समय पर उचित कदम उठाने जरूरी हैं. शक्तिकांत दास ने कोई समयसीमा बताए बिना कहा कि हम मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने के लिए मजबूती से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सब्जियों की कीमतों की वजह से जुलाई में मुद्रास्फीति 7.4 प्रतिशत पर पहुंची गई थी, लेकिन अब यह घटने लगी है.
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