Loading election data...

लॉकडाउन लगने से पहले ही देश पर बढ़ा विदेशी कर्ज का बोझ, वित्त मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट

कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से लागू होने वाले लॉकडाउन के पहले ही देश पर बाहरी कर्ज का बोझ बढ़ गया. फिलहाल, वित्त मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में तो यही कहा गया है कि मार्च के अंत तक देश का कुल बाहरी कज्र 2.8 फीसदी बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वाणिज्यिक ऋण बढ़ने की वजह से कुल बाहरी कर्ज बढ़ा है. मार्च, 2019 के अंत तक कुल बाहरी कर्ज 543 अरब डॉलर था.

By Agency | September 19, 2020 8:46 PM
an image

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से लागू होने वाले लॉकडाउन के पहले ही देश पर बाहरी कर्ज का बोझ बढ़ गया. फिलहाल, वित्त मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में तो यही कहा गया है कि मार्च के अंत तक देश का कुल बाहरी कज्र 2.8 फीसदी बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वित्त मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वाणिज्यिक ऋण बढ़ने की वजह से कुल बाहरी कर्ज बढ़ा है. मार्च, 2019 के अंत तक कुल बाहरी कर्ज 543 अरब डॉलर था.

वित्त मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2020 के अंत तक बाहरी कर्ज पर विदेशी मुद्रा भंडार अनुपात 85.5 फीसदी था. एक साल पहले समान अवधि में यह 76 फीसदी था. ‘भारत का बाहरी कर्ज : एक स्थिति रिपोर्ट: 2019-20′ में कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में बाहरी कर्ज मामूली बढ़कर 20.6 फीसदी पर पहुंच गया. एक साल पहले समान अवधि में यह 19.8 फीसदी था. मार्च, 2019 की तुलना में सॉवरेन ऋण तीन प्रतिशत घटकर 100.9 अरब डॉलर रह गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कमी मुख्य रूप से सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश घटने की वजह से है. सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई का निवेश 23.3 फीसदी घटकर 21.6 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले 28.3 अरब डॉलर था.

रिपोर्ट के अनुसार, सॉवरेन ऋण का प्रमुख हिस्सा बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय स्रोतों से बाहरी सहायता के तहत ऋण का रहता है. यह 4.9 फीसदी बढ़कर 87.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं दूसरी ओर, गैर-सॉवरेन ऋण 4.2 फीसदी बढ़कर 457.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. मुख्य रूप से वाणिज्यिक ऋण बढ़ने से इसमें इजाफा हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार, गैर-सॉवरेन ऋण में सबसे बड़ा हिस्सा वाणिज्यिक ऋण का रहता है. यह 6.7 फीसदी बढ़कर 220.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया. बकाया अनिवासी (एनआरआई) जमा 130.6 अरब डॉलर रहा. यह लगभग पिछले साल के स्तर के बराबर है. रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर उभरते बाजारों में अर्थव्यवस्था के विस्तार पर विदेशी कर्ज बढ़ता है, जिससे घरेलू बचत में कमी को पूरा किया जाता है. भारत इस मामले में अपवाद नहीं है.

Also Read: फरवरी में नौ फीसदी घटा भारतीय कंपनियों का विदेशी कर्ज

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Exit mobile version