GST Council 42th meetings : वस्तु एवं सेवाकर परिषद (जीएसटी परिषद) की आगामी पांच अक्टूबर को होने वाली बैठक में राज्यों के राजस्व नुकसान पर केंद्र की ओर से मिलने वाली क्षतिपूर्ति (मुआवजा) को लेकर माहौल में गरमागरमी जारी रह सकती है. इसका कारण यह है कि राज्यों की क्षतिपूर्ति को लेकर 27 अगस्त को आयोजित की गयी परिषद की बैठक में राज्यों के मुआवजे को लेकर किए गए फैसले पर गतिरोध अब भी जारी है. इस मामले में जीएसटी परिषद और केंद्र सरकार ने राज्यों को दो सुझाव भेजे हैं, जिसे मानने के लिए राज्य तैयार नहीं हैं.
इस मामले में राज्यों का स्पष्ट कहना है कि जिस समय देश में जीएसटी कानून को लागू किया जा रहा था, उस समय केंद्र सरकार ने राज्यों को इस बात का भरोसा दिया था कि इस नए कर कानून के लागू होने के बाद राज्यों को जितना राजस्व का नुकसान होगा, अगले पांच साल तक उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. राज्यों का केंद्र और परिषद की ओर से दिए गए दो सुझावों पर इस बात का ऐतराज है कि परिषद और केंद्र सरकार ने उन्हें राजस्व नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने के बजाए बाजार और रिजर्व बैंक से कर्ज लेने का सुझाव दिया है, जो उन्हें मान्य नहीं है.
अब जबकि संसद सत्र की वजह से आगामी 19 सितंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक को आगामी पांच अक्टूबर तक टाल दिया है, तो इस बात की आशंका अब भी बरकरार है कि पांच अक्टूबर से शुरू होने वाली जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक में राज्यों की ओर से क्षतिपूर्ति का मुद्दा एक बार फिर उठाया जाएगा.
परिषद की बैठक को टालने के पीछे यह है कारण
बता दें कि जीएसटी परिषद की बैठक पांच अक्टूबर तक फिलहाल टाल दी गयी है. पहले यह बैठक 19 सितंबर को होनी थी. सूत्रों ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि परिषद की 42वीं बैठक को टाल दिया गया है, क्योंकि उस दौरान संसद का सत्र चल रहा होगा. केंद्र ने पिछले महीने फैसला किया था कि जीएसटी परिषद की 41वीं और 42वीं बैठक 27 अगस्त और 19 सितंबर को होगी. हालांकि, उस समय तक संसद के मानसून सत्र पर फैसला नहीं हुआ था.
वित्तपोषण को लेकर केंद्र और राज्यों में चल रही है तनातनी
सूत्रों का यह भी कहना है कि जीएसटी परिषद की पांच अक्टूबर को होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी संग्रहण में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी के वित्तपोषण के मुद्दे पर विवाद चल रहा है. केंद्र की गणना के अनुसार, इसमें से 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी के कार्यान्वयन से जुड़ी है. शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये की कमी राज्यों के राजस्व पर कोविड-19 के प्रभाव की वजह से है.
छह राज्यों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर दो विकल्पों पर जताया विरोध
केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली विशेष सुविधा के जरिये 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने या बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये जुटाने के दो विकल्प दिए थे. इसके अलावा, केंद्र ने विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर मुआवजा उपकर को 2022 से आगे बढ़ाने का भी प्रस्ताव किया था, जिससे राज्य कर्ज का भुगतान कर सकें. छह गैर-भाजपा शासित राज्यों (पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु) ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्यों द्वारा कर्ज लेने के विकल्प का विरोध किया था.
सात राज्यों ने आरबीआई और बाजार से कर्ज लेने का चुना विकल्प
सूत्रों ने बताया कि आठ सितंबर तक सात राज्य अपनी पसंद के विकल्प के बारे में केंद्र को सूचित कर चुके हैं. गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और त्रिपुरा ने 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का विकल्प चुना है. वहीं, सिक्किम और मणिपुर ने दूसरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से जुटाने वाले कर्ज का विकल्प चुना है.
Posted By : Vishwat Sen
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.