नयी दिल्ली : देश में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने और लॉकडाउन 4.0 के ऐलान के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इस आर्थिक पैकेज के जरिये उन्हें समाज के हर वर्ग को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया है. इसमें चाहे उद्योग जगत से जुड़े हुए लोग हों या प्रवासी मजदूर, कुटीर उद्योग, एमएसएमई के उद्यमी, या फिर सबसे अधिक टैक्स भरने वाले मध्यम वर्गीय ही क्यों न हों, हर किसी को ‘आत्म निर्भर भारत निर्माण’ के तहत सरकार ने कुछ न कुछ देने का ही प्रयास किया है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े 20 लाख रुपये आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है.
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मंगलवार की शाम 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के बीच भारत के आत्मनिर्भर बनाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के करीब 10 फीसदी यानी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना संकट का सामना करते हुए नये संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं. ये आर्थिक पैकेज ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह आर्थिक पैकेज 20 लाख करोड़ रुपए का है. ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब-करीब 10 फीसदी है. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया गया है. ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है और जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है.
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि देश में खेती के लिए कृषि चेन में सुधार किया जाएगा. इसके अलावा, जेएएएम यानी जनधन, आधार और मोबाइल पर भी फोकस किया जाएगा. आर्थिक गतिविधियों में सुधार देने के लिए उन्होंने कृषि के अलावा नेशनल टैक्स सिस्टम और ग्लोबल सप्लाई चेन में भी सुधार की बात कही है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस दौरान में ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी प्रतिस्पर्धा और इस कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए हमें इसमें सुधार करना होगा.
उन्होंने कहा कि ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गयी हैं, लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने देश के हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है. आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है. हमें न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है.
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