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‘दुनिया में भारी तबाही के साथ भीषण भुखमरी और अकाल का सबब बन सकती है कोविड-19 महामारी’

कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया के लिए भारी तबाही के साथ-साथ भीषण भुखमरी और अकाल का कारण भी बन सकती है. इसके लिए दुनियाभर के सभी देशों को डटकर मुकाबला करना होगा, तभी इस महामारी से पैदा होने वाली तबाही, अकाल और भुखमरी को रोका जा सकता है.

संयुक्त राष्ट्र : कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया के लिए भारी तबाही के साथ-साथ भीषण भुखमरी और अकाल का कारण भी बन सकती है. इसके लिए दुनियाभर के सभी देशों को डटकर मुकाबला करना होगा, तभी इस महामारी से पैदा होने वाली तबाही, अकाल और भुखमरी को रोका जा सकता है. यह चिंता संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस ने जाहिर की है. उन्होंने दुनियाभर के देशों को चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी अकल्पनीय तबाही का कारण बन सकती है और इससे भीषण भूख और अकाल की शुरुआत हो सकती है. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस महामंदी का अगर सभी राष्ट्रों ने मिलजुलकर जवाब नहीं दिया, तो वैश्विक उत्पादन में 8,500 अरब डॉलर की कमी होगी.

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गुरुवार को विकास के लिए वित्त पोषण पर उच्चस्तरीय कार्यक्रम में कहा, ‘हमें इससे बचना चाहिए. महामारी ने हमारी कमजोरी को सामने ला दिया है. हाल के दशकों की सभी तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद हम एक सूक्ष्म वायरस के कारण एक अभूतपूर्व मानवीय संकट में हैं.’ उन्होंने एकजुटता के साथ इस अभूतपूर्व संकट का जवाब देने की जरूरत पर जोर दिया.

गुतारेस ने कहा कि यदि हम अभी कार्रवाई नहीं करेंगे, तो कोविड-19 महामारी दुनियाभर में अकल्पनीय तबाही और पीड़ा की वजह बनेगी. भयानक भूख और अकाल की स्थिति पैदा होगी. छह करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी में चले जाएंगे. करीब आधा वैश्विक कार्यबल यानी 1.6 अरब लोग बेरोजगार हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि महामारी के चलते वैश्विक उत्पादन में 8,500 अरब अमेरिकी डॉलर तक की कमी हो सकती है, जो 1930 की महामंदी के बाद सबसे तेज कमी होगी.

बाद में जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होल्नेस और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ एक वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुतारेस ने कहा कि दुनिया कई बड़ी कमजोरियों से पीड़ित है. मसलन, कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली, जलवायु परिवर्तन और असमानता अपने चरम स्तर पर है.

उन्होंने कहा कि हम इन कमजोरियों के संकेत अन्य जगहों पर भी देखते हैं, जैसे परमाणु प्रसार के बढ़ते जोखिम से लेकर साइबर स्पेस की अराजकता तक. इन चेतावनी को अनदेखा करना मूर्खतापूर्ण अहंकार है. हमारे अस्तित्व के खतरों से निपटने के लिए विनम्रता, एकता और एकजुटता की जरूरत है.

Posted By : Vishwat Sen

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