जीएसटी परिषद यानी वस्तु एवं सेवा कर विभाग ने कुछ सामानों पर कर छूट में बदलाव पर विचार कर सकता है. इसके अलावा कुछ सामानों पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में भी बदलाव किए जा सकते हैं. एक खबर के अनुसार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (GoM) इसपर काम कर रही है. इसे लेकर अब तक दो-तीन बैठकें हो चुकी है.
विशेषज्ञों की माने तो इनवर्टेड ड्यूटी करेक्शन का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और भी काम बाकी है. उन्होंने बताया कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर पर पिछली दो-तीन बैठकें उपयोगी रहीं हैं, जिनमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. लेकिन कुछ सामानों पर विचार करना अब तक लंबित है, जिनमें कपड़ा भी शामिल है. बताते चले कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर उन्हें संदर्भित करता है जहां तैयार माल पर आयात कर कच्चे माल पर आयात कर की तुलना में कम होता है, जो तैयार माल के उत्पादन में उपयोग किया जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों, कुछ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, यूरिया और अन्य उर्वरक सहित ऑटोमोबाइल के वस्तुओं पर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को लागू किया जा सकता है. इकॉनोमिक टाइम्स से बात करते हुए EY के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसे सेक्टरों में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार से उद्योग को अपने संचित क्रेडिट (accumulated credits) को खत्म करने, वर्किंग कैपिटल की समस्याओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी.
पिछले साल सितंबर में जीएसटी परिषद ने फुटवियर और टेक्सटाइल के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को सुधारने का फैसला किया था. किसी भी मूल्य के जूते को तैयार करने पर 1 जनवरी से 12 प्रतिशत जीएसटी दर निर्धारित की गई थी. इससे पहले, शर्ट और अन्य कपड़ों पर 1 हजार रुपये प्रति पीस तक के ब्रिकी पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत थी.
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व्यापारियों और निर्माताओं ने वृद्धि का विरोध करते हुए कहा था कि इससे भारत के कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान पहुंचेगा और नौकरियों में नुकसान होगा. राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और दिल्ली सहित कई राज्यों ने वृद्धि का विरोध किया, जिसे अंततः वापस ले लिया गया था. फिलहाल टेक्सटाइल को छोड़कर, जीएसटी परिषद ने शुल्क उलटाव को ठीक करने की कवायद जारी रखी है.
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