नई दिल्ली : भारत में टमाटर की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नेपाल से इसका आयात किया जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल से आने वाला टमाटर अभी रास्ते में है. भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ) ने बुधवार को जानकारी दी है कि नेपाल से आने वाली टमाटर की खेप की उत्तर प्रदेश में बिक्री की जाएगी. एनसीसीएफ ने नेपाल से 10 टन टमाटर के आयात का अनुबंध किया है. एनसीसीएफ आयात के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से टमाटर की घरेलू खरीद भी कर रही है और उपभोक्ताओं को इसकी बिक्री रियायती दर पर कर रही है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के निर्देश के बाद एनसीसीएफ खुदरा स्तर पर ‘हस्तक्षेप’ कर रही है.
नेपाल से मंगाया जा रहा 10 टन टमाटर
एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक एनीस जोसेफ चंद्रा ने कहा कि हमने नेपाल से 10 टन टमाटर आयात का अनुबंध किया है. इसमें से 3-4 टन मंगलवार को उत्तर प्रदेश में वितरित किया गया और करीब पांच टन टमाटर अभी रास्ते में है. इसकी बिक्री गुरुवार को उत्तर प्रदेश में की जाएगी. उन्होंने कहा कि टमाटर जल्दी खराब हो जाता है. इस वजह से देश के अन्य हिस्सों में इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है.
मोबाइल वैन से की जा रही टमाटर की बिक्री
एनीस जोसेफ चंद्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आयातित और स्थानीय रूप से खरीदे गए टमाटर को खुदरा दुकानों के साथ-साथ चुनिंदा स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से बेचा जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों से खरीदा गया टमाटर 50 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचा जा रहा है.
मंडियों में घरेलू आवक शुरू
नेपाल से टमाटर के आगे आयात के बारे में पूछे जाने पर जोसेफ चंद्रा ने कहा कि नेपाल से आयात सिलसिलेवार तरीके से किया जाएगा, क्योंकि कुछ राज्यों की मंडियों में घरेलू आवक शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में टमाटर की नई फसल की आवक थोक मंडियों में शुरू हो गई है और कीमतें भी कम हो रही हैं.
कीमतों में आ रही गिरावट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, टमाटर की अखिल भारतीय औसत थोक कीमत 15 अगस्त को घटकर 88.22 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है, जबकि एक महीने पहले यह 97.56 रुपये प्रति किलोग्राम थी. आंकड़ों से पता चलता है कि इसी तरह, टमाटर की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत एक महीने पहले के 118.7 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर अब 107.87 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई है.
जुलाई में सब्जियों की कीमतों में 62.12 फीसदी वृद्धि
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, जुलाई में सब्जियों की कीमतों में 62.12 फीसदी की वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में शून्य से 4.12 फीसदी नीचे रही थी. पिछले साल जुलाई में यह 14.07 फीसदी थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 फीसदी रही, जो जून में 1.32 फीसदी थी.
सब्जियों की कीमत से बाजार प्रभावित
बार्कलेज के ईएम एशिया (चीन को छोड़कर) आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट की धीमी गति करीब पूरी तरह से सब्जियों की कीमतों के कारण है, जो वास्तव में बढ़ी हैं. मूल रूप से सब्जियों की बढ़ती कीमतों की वजह से बाजार प्रभावित हो रहा है. सब्जियों के अलावा, अनाज तथा दालों में वृद्धि देखी गई, जहां मुद्रास्फीति क्रमशः 8.31 फीसदी और 9.59 फीसदी रही.
Also Read: आज से 50 रुपये किलो टमाटर बेचेगी सरकार, दिल्ली-एनसीआर और बिहार में घटेंगे दाम
आरबीआई ने रेपो रेट को रखा अपरिवर्तित
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती खुदरा महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले सप्ताह लगातार तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मुद्रास्फीति को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ़ाव तथा भू-राजनीतिक तनाव बने रहने तथा मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.