नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सोमवार को स्पेक्ट्रम साझा करने के मामलों में क्रमिक स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) लगाने से जुड़े नियमों को स्पष्ट किया. ट्राई ने कहा कि ऐसे मामलों में 0.5 प्रतिशत बढ़ाया गया एसयूसी सिर्फ विशेष बैंड में साझा किए जा रहे स्पेक्ट्रम पर लगाया जाना चाहिए ना कि लाइसेंस धारक कंपनी के पास के पूरे स्पेक्ट्रम पर. ट्राई ने स्पेक्ट्रम के आदान-प्रदान संबंधी दिशानिर्देशों में दूरसंचार कंपनियों के मौजूदा स्पेक्ट्रम के लेन देन के करार को समाप्त करने या उससे हटने से जुड़े प्रावधान जोड़ने का सुझाव दिया है.
ट्राई ने एक बयान में कहा कि इससे दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को अपनी जरूरत के हिसाब से स्पेक्ट्रम का वाणिज्यिक आधार पर बंदोबस्त करने की सुविधा होगी. नियामक ने कहा कि मौजूदा स्पेक्ट्रम दिशानिर्देशों के अनुसार यह स्पष्ट है कि 0.5 प्रतिशत का क्रमिक एसयूसी सिर्फ किसी बैंड विशेष लिए-दिए गए स्पेक्ट्रम पर लगाया जाना चाहिए ना कि लाइसेंसधारक के पास के पूरे स्पेक्ट्रम पर. ट्राई ने इस संबंध में अप्रैल में स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क लगाने और उसके आकलन इत्यादि से जुड़े मामलों को लेकर परिचर्चा शुरू की थी। इसके बाद उसने ये सुझाव दिए हैं.
दूरसंचार विभाग ने जनवरी में कहा था कि स्पेक्ट्रम साझा करने के मौजूदा नियम प्रत्येक स्पेक्ट्रम लाइसेंसधारक कंपनियों पर स्पेक्ट्रम साझा करने पर उनके समायोजिक सकल आय (एजीआर) के 0.5 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त एसयूसी लगाने की व्यवथा देते हैं. दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट किया था कि यह शुल्क स्पेक्ट्रम साझा करने के बाद किसी विशेष बैंड में साझा जाने वाले स्पेक्ट्रम पर ही लागू होगा. ना कि लाइसेंसधारक कंपनी के पूरे स्पेक्ट्रम पर. इस संबंध में विभाग ने ट्र्राई से उसके सुझाव भी मांगे थे.
Posted By: Pawan Singh
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