Uinion Budget: एफडीआई नियमों में बदलाव करेगी सरकार, विदेशी निवेश में आई गिरावट

Uinion Budget: अधिकांश क्षेत्रों में स्वत: मंजूर मार्ग के जरिये एफडीआई की अनुमति है, लेकिन मीडिया, दवा एवं बीमा जैसे कुछ क्षेत्रों में निर्दिष्ट सीमा से परे विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है. सरकारी मार्ग के तहत विदेशी निवेशकों को संबंधित मंत्रालय या विभाग की पूर्व-मंजूरी लेनी होती है.

By KumarVishwat Sen | July 23, 2024 4:24 PM
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Uinion Budget: केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार को विदेशी निवेश (FI) को सुगम बनाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से संबंधित नियमों और विनियमों को आसान बनाने का ऐलान किया है. सरकार की ओर से एफडीआई के नियमों को सरल बनाने का कदम तब उठाया गया है, जब भारत में आने वाले विदेशी निवेश की रफ्तार घट गई है. सर्विस, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, टेलीकम्यूनिकेशन, ऑटोमोबाइल और मेडिसीन जैसे अहम सेक्टर में विदेश निवेश में गिरावट आई है. वित्त वर्ष 2023-24 में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 3.49% घटकर 44.42 अरब डॉलर रह गया है.

वित्त वर्ष 2021-22 में आया था सबसे अधिक एफडीआई

लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए कि एफडीआई को सुगम बनाने और विदेशी निवेश के लिए मुद्रा के तौर पर भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एफडीआई और विदेशी निवेश से संबंधित नियम एवं विनियम आसान बनाए जाएंगे. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 46.03 अरब डॉलर रहा था. इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आमदनी और अन्य पूंजी समेत कुल एफडीआई निवेश पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में एक प्रतिशत की गिरावट के साथ 70.95 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2022-23 में यह 71.35 अरब डॉलर रहा था. वित्त वर्ष 2021-22 में देश में अबतक का सबसे अधिक 84.83 अरब डॉलर का एफडीआई आया था.

वित्त वर्ष 2023-24 में एफडीआई में आई कमी

वित्त वर्ष 2023-24 में मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), केमैन आइलैंड्स, जर्मनी और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से आने वाले एफडीआई इक्विटी निवेश में कमी आई. सेवाओं, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, दूरसंचार, वाहन, दवा और रसायन क्षेत्रों में विदेशी निवेश में कमी आई. भारत की एफडीआई नीति के मुताबिक, इसके प्रावधानों के अनुपालन का दायित्व निवेश हासिल करने वाली कंपनी पर होता है. एफडीआई नियमों का कोई भी उल्लंघन विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के दंडात्मक प्रावधानों के दायरे में आता है, क्योंकि एफडीआई एक पूंजीगत खाता लेनदेन है.

मीडिया, दवा एवं बीमा में एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी जरूरी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) फेमा का प्रशासन करता है, जबकि वित्त मंत्रालय के तहत प्रवर्तन निदेशालय फेमा के प्रवर्तन के लिए प्राधिकरण है और कानून के उल्लंघन के मामलों की जांच करता है. अधिकांश क्षेत्रों में स्वत: मंजूर मार्ग के जरिये एफडीआई की अनुमति है, लेकिन मीडिया, दवा एवं बीमा जैसे कुछ क्षेत्रों में निर्दिष्ट सीमा से परे विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत होती है. सरकारी मार्ग के तहत विदेशी निवेशकों को संबंधित मंत्रालय या विभाग की पूर्व-मंजूरी लेनी होती है. वहीं स्वत: मंजूर मार्ग के जरिये निवेशक को निवेश करने के बाद आरबीआई को केवल अवगत कराना होता है.

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लॉटरी, जुआ, सट्टेबाजी और चिट फंड समेत इन पर प्रतिबंध

लॉटरी कारोबार, जुआ एवं सट्टेबाजी, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट व्यवसाय और सिगार, चुरूट एवं सिगरेट का निर्माण जैसे आठ क्षेत्रों में एफडीआई को प्रतिबंधित किया हुआ है. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि एफडीआई और विदेशी निवेश के लिए सरल नियम एवं विनियम आने से निश्चित रूप से देश में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश के लिए रुपये को बढ़ावा देने से स्थानीय मुद्रा की मांग बढ़ेगी और इसके मूल्य को भी समर्थन मिलेगा.

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