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Budget 2023 : ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए 35 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा सकती है सरकार

सरकार के इस कदम का उद्देश्य आयात पर अंकुश लगाना और आयातित वस्तुओं में से कुछ उत्पादों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करना है. इससे पहले, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों से उन गैर-आवश्यक वस्तुओं की सूची प्रदान करने का निर्देश दिया था.

नई दिल्ली : ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार आगामी एक फरवरी को पेश होने वाले सालाना केंद्रीय बजट 2023 में करीब 35 वस्तुओं पर सीमा शुल्क को बढ़ाने पर विचार कर रही है. मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार की ओर से जिन वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, उसमें प्राइवेट जेट, हेलीकॉप्टर, इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक के सामान, हाई ग्लॉस पेपर और विटामिन आदि शामिल हैं.

क्या है सरकार का उद्देश्य

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के इस कदम का उद्देश्य आयात पर अंकुश लगाना और आयातित वस्तुओं में से कुछ उत्पादों के घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करना है. इससे पहले, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों से उन गैर-आवश्यक वस्तुओं की सूची प्रदान करने का निर्देश दिया था, जिनके आयात को सीमा शुल्क में बढ़ोतरी के जरिए हतोत्साहित किया जा सकता है.

चालू खाता घाटा नौ साल के उच्च स्तर पर

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का चालू खाता घाटा सितंबर की समाप्त तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 4.4 फीसदी के साथ नौ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछली तिमाही में जीडीपी के 2.2 फीसदी से अधिक था. देश के नीति निर्माता भी घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक रणनीति के तहत गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को हतोत्साहित करने का लक्ष्य बना रहे हैं.

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कई आयातित वस्तुओं पर पहले ही बढ़ाया गया शुल्क

सरकार की ‘मेड इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों का समर्थन करने के लिए हाल के वर्षों में कई वस्तुओं पर आयात शुल्क पहले ही बढ़ा दिए गए हैं. गैर-आवश्यक वस्तुओं के सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश भी जारी किए गए हैं.

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राजस्व में होगी वृद्धि

विशेषज्ञों की मानें, तो यदि आयात शुल्क में बढ़ोतरी केवल कुछ तैयार उत्पादों पर ही लागू की जाती है, इससे न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि मेड इन इंडिया की पहल को भी बढ़ावा मिलेगा. उनका कहना है कि इन तैयार उत्पादों की पसंद वैश्विक आपूर्ति शृंखला में उनकी स्थिति और समग्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, वह इस पर निर्भर होना चाहिए.

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