Union Budget 2023: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आम बजट पेश किया. यह बजट ऐसे समय में पेश किया गया है, जब दुनियाभर में कई प्रमुख देशों में आर्थिक मंदी जैसे हालात हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि भारत में इसका बुरा असर घरेलू अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. इन सबके बीच, सवाल उठ रहे है कि क्या भारत पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हो पाएगा. बताते चलें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने की कल्पना की थी.
दरअसल, यूक्रेन संकट, बढ़ती महंगाई और कोरोना महामारी के बाद हुए असर के चलते पैदा हुई अस्थिर भू-राजनीतिक स्थितियों की वजह से भारत के लिए 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का टारगेट हासिल करना मुश्किल लग रहा है. बैंकिंग उद्योग से जुड़े जानकारों की मानें तो फिलहाल जीडीपी (GDP) की ग्रोथ रेट को देखते हुए ऐसा सिर्फ साल 2030 तक ही संभव नहीं लगा रहा है. मीडिया रिपोर्ट में घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि शीर्ष सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रतिनिधियों ने हाल ही में संसदीय पैनल के साथ वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था और 5 ट्रिलियन डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रोडमैप और इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड संचालन सहित बैंकिंग क्षेत्र की प्रदर्शन समीक्षा के बारे में कहा जाता है कि यह संकेत दिया गया है कि वर्तमान जीडीपी दर को देखते हुए 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना संभव नहीं होगा.
बैंकों के अधिकारियों ने संसदीय पैनल को बताया कि 2030 से पहले 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए लगभग दस प्रतिशत जीडीपी वृद्धि की जरूरत है, जो मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति को देखते हुए संभव नहीं लग रहा है. अधिकारियों ने समिति को बताया कि अगर बैंकिंग उद्योग में सुधार होता है, तभी 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा. हालांकि, बजट 2023 से उम्मीद की जाती है कि हम एक देश के रूप में अगले कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास में हैं.
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