हल्की और छोटी गलतियों पर अब कंपनियों को नहीं दी जायेगी सजा, कंपनी कानून में होंगे 72 संशोधन

सरकार ने कंपनी कानून में संशोधन करके कंपनियों पर लगने वाले भारी-भरकम जुर्माने को कम करने और छोटी-मोटी गलतियों पर मिलने वाली सजा को कम करने के लिए कंपनी कानून में 72 संशोधन करने वाले प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है.

By KumarVishwat Sen | March 4, 2020 6:25 PM

नयी दिल्ली : सरकार ने देश में कारोबार में सुगमता बढ़ाने और कंपनियों की हल्की-फुल्की गलतियों में सजा के प्रावधानों को समाप्त करने या जुर्माना हल्का करने के उद्देश्य से बुधवार को कंपनी कानून में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दी. इसमें कई प्रकार की गलतियों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी से हटाने के साथ-साथ छोटी कंपनियों को सामाजिक दायित्व समिति बनाने की जिम्मेदारी से मुक्त करने के प्रस्ताव शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कंपनी कानून 2013 में 72 संशोधनों वाला विधेयक पेश किये जाने को मंजूरी दी.

बैठक के बाद वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि इन संशोधन प्रस्तावों का मुख्य उद्देश्य कंपनी कानून में विभिन्न प्रावधानों को आपराधिक सजा वाले प्रावधान की श्रेणी से हटाना है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने कानून में 72 बदलावों के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

कानून के तहत कुल 66 समझौते लायक गड़बड़ियों (कंपाउंड करने लायक गड़बड़ी) में से 23 की श्रेणी बदली गयी है और समझौते लायक सात गलतियों को अपराध की सूची से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है. आम तौर पर समझौता योग्य या ‘कंपाउंड’ करने लायक उल्लंघन ऐसे माने जाते हैं, जहां गलती करने वाला समझौता कर के उसका समाधान करा सकता है.

सीतारमण ने कहा कि सरकार विभिन्न धाराओं में जेल के प्रावधान को हटाएगी और इसके साथ ही कंपाउंड योग्य कुछ प्रावधानों में जुर्माना हल्का करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि जिन कंपनियों पर सीएसआर (कॉरपोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी) खर्च का दायित्व 50 लाख से कम है, उन्हें सीएसआर कमेटी गठित करने की जरूरत नहीं होगी.

सीतारमण ने कहा कि इस पहल का मकसद कारोबार सुगमता को बढ़ाना है. सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्चस्तरीय समिति ने कंपनी कानून के तहत स्टार्टअप द्वारा नियमों के उल्लंघन को लेकर मौजूदा समझौता योग्य अपराधों में से आधे से अधिक को संज्ञेय अपराध की श्रेणी से बाहर लाने के साथ मौद्रिक जुर्माना कम करने का प्रस्ताव किया था.

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