Unsuccess Story: कभी भारत की सबसे सस्ती फ्लाइट थी किंगफिशर, विजय माल्या की विलासिता में हो गई तबाह

Unsuccess Story: किंगफिशर एयरलाइंस, जिसे विजय माल्या ने 2005 में स्थापित किया, एक समय में भारत की सबसे सस्ती फ्लाइट्स में से एक थी. लेकिन, विजय माल्या की विलासिता, कुप्रबंधन और बढ़ते कर्ज के चलते वह साल 2012 में यह बंद हो गई.

By KumarVishwat Sen | March 15, 2025 4:46 PM
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Unsuccess Story: किंगफिशर एयरलाइंस कभी भारत की सबसे सस्ती विमानन कंपनी मानी जाती थी, लेकिन विजय माल्या की विलासिता और कुप्रबंधन की वजह से महज सात साल में ही तबाह हो गई. साल 2005 में विजय माल्या की ओर से स्थापित एयरलाइन का उद्देश्य अपने यात्रियों को प्रीमियम सेवाएं प्रदान करना था. हालांकि, अपनी शानदार शुरुआत के बावजूद किंगफिशर एयरलाइंस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके साल 2012 में यह बंद हो गई. प्रभात खबर डॉट कॉम की ओर से उन टॉप उद्यमियों की असफलता की कहानी बताने जा रहा है. अगर आपके आसपास भी कोई असफल कारोबारी या व्यक्ति की कहानी है, तो हमें बताएं. पेश है उसकी पहली कड़ी.

किंगफिशर एयरलाइंस का उदय

किंगफिशर एयरलाइंस को 2005 में शानदार उड़ान का अनुभव प्रदान करने के लक्ष्य के साथ लॉन्च किया गया था. जाने-माने व्यवसायी और किंगफिशर बीयर ब्रांड के मालिक विजय माल्या एक ऐसी एयरलाइन बनाना चाहते थे, जो बाकी एयरलाइनों से अलग हो. एयरलाइन ने कई अनूठी सुविधाएं प्रदान कीं. इनमें इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट, आरामदायक सीटें और स्वादिष्ट भोजन शामिल हैं. इन प्रीमियम सेवाओं ने किंगफिशर एयरलाइंस को यात्रियों के बीच तेजी से लोकप्रिय बना दिया.

किंगफिशर एयरलाइन का विस्तार और विकास

अपने शुरुआती वर्षों में किंगफिशर एयरलाइंस का तेजी से विस्तार हुआ. इसने नए रूट जोड़े और अधिक यात्रियों की सेवा के लिए अपने बेड़े का आकार बढ़ाया. यह एयरलाइन दुनिया के सबसे बड़े यात्री विमान एयरबस A380 का ऑर्डर देने वाली भारत की पहली एयरलाइन भी बन गई. किंगफिशर की वृद्धि और उच्च गुणवत्ता वाली सेवा ने इसे कई पुरस्कार और एक वफादार ग्राहक आधार दिलाया.

किंगफिशर एयरलाइंस का पतन

अपनी शुरुआती सफलता के बावजूद किंगफिशर एयरलाइंस को 2008 के आसपास वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा. एयरलाइन की उच्च परिचालन लागत, ईंधन की बढ़ती कीमतों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ मिलकर इस पर असर पड़ने लगा. किंगफिशर को लाभप्रदता बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा और उसने कर्ज लेना करना शुरू कर दिया.

एयर डेक्कन का अधिग्रहण

आगे विस्तार करने और कम लागत वाले सेगमेंट में प्रवेश करने के लिए, किंगफिशर ने 2007 में एयर डेक्कन का अधिग्रहण किया. इस कदम से किंगफिशर को अधिक रूट और बड़े ग्राहक आधार तक पहुंच मिली, लेकिन इसने इसके वित्तीय बोझ को भी बढ़ा दिया. दोनों एयरलाइनों को एकीकृत करना मुश्किल साबित हुआ और अपेक्षित लाभ योजना के अनुसार नहीं मिले.

परिचालन चुनौतियां

साल 2011 तक किंगफिशर एयरलाइंस गहरे वित्तीय संकट में थी. एयरलाइन ने कर्जों पर चूक करना शुरू कर दिया और अपने कर्मचारियों और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने में असमर्थ थी. इस कारण बार-बार उड़ानें रद्द होने लगीं और ग्राहकों का भरोसा कम होता गया. स्थिति तब और खराब हो गई, जब नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सुरक्षा चिंताओं और वित्तीय अस्थिरता के कारण अक्टूबर 2012 में किंगफिशर का लाइसेंस निलंबित कर दिया.

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किंगफिशर एयरलाइन का बंद होना और तबाही

बढ़ते कर्ज और वसूली का कोई स्पष्ट रास्ता न होने के कारण किंगफ़िशर एयरलाइंस का परिचालन अक्टूबर 2012 में बंद कर दिया गया. एयरलाइन के बंद होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए और यात्री फंस गए. विजय माल्या को कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ा और 2016 में देश छोड़कर भाग गए, जिससे स्थिति और जटिल हो गई. आज स्थिति यह है कि विजय माल्या को भारत का भगौड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया है और उन्हें ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पण का प्रयास किया जा रहा है.

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