भारत में महिला उद्यमी होंगी आर्थिक विकास की इंजन : एलिजाबेथ वाजक्वेज

केवल महिला श्रम ही नहीं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि कॉरपोरेट हाउस के अहम निर्णयों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए, तो उम्मीद से कहीं अधिक तरक्की की जा सकती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2022 2:47 PM

नई दिल्ली : वी-कनेक्ट इंटरनेशनल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलिजाबेथ वाजक्वेज एवं संस्था के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक इरोशन अलगरेटनाम ने कहा कि भारत में आने वाला समय महिला उद्यमियों का होगा. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2025 तक उद्योग जगत की वैश्विक जीडीपी में महिलाओं की सहभागिता 5.8 खरब यूएस डॉलर तक बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि कोई आश्चर्य की बात नहीं कि अधिकांश महिला उद्यमी ऐसी विकासशील देशों से होंगी, जहां लैगिंक समानता का अनुपात अधिक है.

महिलाओं की भागीदारी से 9 फीसदी तक पहुंच सकती है विकास दर

वी-कनेक्ट इंटरनेशनल की सीईओ एलिजाबेथ वाजक्वेज ने कहा कि जनसंख्या घनत्व और आर्थिक असमानताओं को देखते हुए भारत सहित कई अन्य देशों में महिलाएं इस बदलाव की ओर अग्रसर हो रही हैं, जहां अभी तक केवल 25 फीसदी आबादी ही महिला श्रम के रूप में काम कर रही है. इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि घरेलू जीडीपी में महिला कामगारों की हिस्सेदारी केवल 17 फीसदी ही है, जो कि वैश्विक जीडीपी के आधी से भी कम है. विश्व बैंक के अनुसार, महिला श्रम की संख्या यदि दोगुनी कर दी जाए, तो भारत की विकास दर को 7.5 से 9 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. इससे देश की जीडीपी वर्ष 2025 तक 700 मिलियन डॉलर तक बढ़ सकती है.

कॉरपोरेट हाउसेज में महिलाओं की भागीदारी से बढ़ेगी तरक्की

उन्होंने कहा कि केवल महिला श्रम ही नहीं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि कॉरपोरेट हाउस के अहम निर्णयों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए, तो उम्मीद से कहीं अधिक तरक्की की जा सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 2019 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार देश 14 फीसदी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है और केवल 5.9 फीसदी स्टार्टअप का संचालन महिलाओं द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, भारत में लैंगिक समानता अभी पूरी तरह संभव नहीं है. फिर भी इसके जीडीपी के आंकड़ों में मामूली वृद्धि भी भविष्य में विकास के द्वारा खोलेगी.

नए व्यवसाय के लिए आर्थिक सहयोग जरूरी

महिलाओं की व्यवसाय में उपयोगिता को देखते हुए सरकारी और निजी क्षेत्र को आपस में तालमेल बैठाना होगा, जिससे महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए आसानी से वित्त उपलब्ध हो सके. आरबीआई के अनुसार महिलाओं द्वारा छोटे स्तर के व्यवसाय की शुरूआत के लिए 43 फीसदी फंडिग दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा की गई. व्यवसाय का प्रशिक्षण और विकास की ओर उन्मुख महिला आपूर्तिकर्ता के लिए बाजारों तक पहुंच बनाना चुनौतीपूर्ण है. गैर सरकारी संगठनों की सहायता इसमें अहम भूमिका हो सकती है, जो महिला उद्यमियों को क्षमता निर्माण, बाजारों तक पहुंच बनाने, वित्त की व्यवस्था और बिजनेस समूहों के बीच सामंजस्य बनाने की पहल कर सकते हैं.

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वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन बढ़ाने की जरूरत

उन्होंने कहा कि वी कनेक्ट इंटरनेशनल एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां इसकी भूमिका अहम हो जाती है, कारपोरेट सेक्टर अब यह महसूस करने लगे हैं कि मांग और आपूर्तिकर्ता की चेन को वैश्विक स्तर पर अधिक बढ़ाने की जरूरत है और उनकी खरीद क्षमता बढ़ाने से वैश्विक स्तर पर व्यवसायों में तरक्की लाई जा सकती है. वी कनेक्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े स्तर के आपूर्तिकर्ताओं को महिला उद्यमियों के साथ मिलाने का काम करता है. विश्वभर भर में 11000 पंजीकृत और प्रमाणित उद्योग समूह अपनी सेवाएं और उत्पादों को बेचने के लिए उद्यमियों को ढूंढ रही हैं.

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