नई दिल्ली : वीकनेक्ट इंटरनेशनल की सीईओ और ‘बाइंग फॉर इम्पैक्ट: हाउ टू बाइ फ्रॉम वीमेन एंड चेंज अवर वर्ल्ड’ पुस्तक की सह-लेखिका एलिजाबेथ ए वाजक्वेज ने कहा है कि भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले कारोबार वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि कारोबारी क्षेत्र में पहली बार उतरने वाली महिलाएं भी अब अपने धैर्य और कड़ी मेहनत के दम पर पुरुषों की तरह ही सफलता की नई इबारत लिख रही हैं. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपनी उद्यमशीलता को नए आयाम दे रही हैं, और एकदम नए और गैर-परंपरागत व्यावसायिक क्षेत्रों में कदम रख रही हैं.
वीकनेक्ट इंटरनेशनल की सीईओ एलिजाबेथ ने कहा कि महिलाएं अपना सारे डर को ताक पर रख बेझिझक कारोबारी प्रतिस्पर्धा की दुनिया में उतर रही हैं और अपनी वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कारोबारी परिदृश्य में इस हालिया बदलाव के पीछे भारत सरकार के कार्यक्रमों की भी अहम भूमिका रही है, जिनका उद्देश्य महिलाओं के दीर्घकालिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है.
वहीं, विश्व बैंक के मुताबिक, कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी दोगुनी होने पर भारत की विकास दर 7.5 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी हो जाएगी और 2025 तक देश की जीडीपी भी बढ़कर 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच जाएगी. भारत में आज महिलाएं जिस तरह मेगा-इकोनॉमिक फोर्स बन रही हैं, उसे दुनिया में व्यापक स्तर पर पहचान भी मिल रही है. भारत में महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले व्यवसायों ने केवल पांच सालों में अनुमानित तौर पर 90 फीसदी की वृद्धि हासिल की है, जो अमेरिका (50 फीसदी) और ब्रिटेन (24 फीसदी) की महिला उद्यमियों की तुलना में कहीं ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि भारत में शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि 2021 में भारत एक ही साल में 33 यूनिकॉर्न के आगाज के साथ इस मामले में दुनिया में तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा और यहां तक कि ब्रिटेन को भी पछाड़ देगा. हालांकि, भारत में अभी 1 बिलियन डॉलर वाले ऐसे स्टार्ट-अप की संख्या काफी सीमित हैं, जिनकी संस्थापक महिलाएं हों. इसके बावजूद बदलता ट्रेंड उत्साहजनक है, क्योंकि भारत के अधिकांश स्टार्ट-अप जो आज यूनिकॉर्न बन चुके हैं, उनमें एक दशक पहले कोई महिला संस्थापक नहीं थी. ये बेहद रोमांचक है कि बतौर नियोक्ता महिलाओं की भूमिका और सकल घरेलू उत्पाद में उनके अहम योगदानकर्ता होने को लेकर आज गंभीरता के साथ चर्चा हो रही है.
बताते चलें कि वीकनेक्ट इंटरनेशनल अपने सदस्य खरीदारों को महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों से अधिक से अधिक खरीद के लिए सार्वजनिक लक्ष्यों पर प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसकी यह पहल एसडीजी-5 लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों का एक उदाहरण है, और अन्य संगठनों और व्यावसायिक संघों को भी ऐसा ही करना चाहिए. महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों से खरीदना स्थानीय ही नहीं विश्व स्तर पर भी एक स्मार्ट फैसला है.
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एलिजाबेथ ने कि हालांकि, दुनिया के सभी निजी व्यवसायों में से 30 प्रतिशत महिलाओं के स्वामित्व वाले हैं, लेकिन वर्ष 2022 में भी महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों के उत्पादों और सेवाओं पर बड़े कॉर्पोरेट और सरकार का खर्च एक प्रतिशत से भी कम है. एक्सेंचर, सिस्को, इंटेल, आईबीएम, जॉनसन एंड जॉनसन, मैरियट और पीएंडजी जैसे कुछ प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी अपनी वैल्यू चेन के कुछ हिस्से की आपूर्ति पहले से ही दक्षिण एशिया से कर रहे हैं. वैश्विक और क्षेत्रीय खरीदार भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले व्यवसायों से आपूर्ति के अपने प्रयास बढ़ाकर अपनी कंपनी के सार्वजनिक लक्ष्यों को पूरा करने की सामर्थ्य बढ़ाने और क्षमता-निर्माण संबंधी अन्य लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में प्रगति दोनों में योगदान कर सकते हैं. इससे आपूर्तिकर्ताओं को भी कोविड-19 के व्यापक विनाशकारी आर्थिक प्रभावों से उबरने में मदद मिलेगी.
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