निवेश करना जोखिम से भरा हो सकता है. लेकिन कुछ निवेश काफी फायदेमंद होते हैं, जिसमें पैसा लगाने से न सिर्फ अच्छा रिटर्न मिलता है बल्कि, समय के साथ-साथ इसमें इजाफा भी होता है, और टैक्स में छूट भी मिलती है. आज मार्केट में कई तरह के निवेश के विकल्प मौजूद हैं, इन्ही में से एक है वीपीएफ (VPF) या स्वैच्छिक भविष्य निधि. यह एक ऐसा निवेश पैड है जहां साढ़े 8 फीसदी तक ब्याज मिलता है.
क्या है VPF प्लान: वीपीएफ एक स्वैच्छिक भविष्य निधि है. इसके निवेश करना या नहीं करना यह कर्मचारी की इच्छा पर निर्भर करता है. बात करें ब्याज की तो, वीपीएफ में 8.5 फीसद का ब्याज मिलता है. निवेश के जानकारों का कहना है कि, वीपीएफ प्लान में निवेश के लिए कर्मचारियों को बेसिक सैलरी के 12 फीसद के अतिरक्त होनी चाहिए. यानी इसे इस तरह भी कहा जा सकता है. VPF कई मायनों में PPF का ही एक्सटेंशन रुप है.
नियोक्ता की कोई भूमिका नहीं होती: वीपीएफ में निवेश की एक और खास बात है कि इसमें सिर्फ कर्मचारी का ही योगदान होता है. इसमें कंपनी या नियोक्ता की कोई भूमिका नहीं होती. इसके अलावा कर्मचारी अपनी सैलरी का के डीए का कितना भी बड़ा हिस्सा डाल सकता है. वहीं, वीपीएफ के तहत जमा किए गए पैसे में प्रिंसिपल अमाउंट और ब्याज पर टैक्स नहीं लगता.
कौन कर सकता है निवेश: वीपीएफ (VPF) में भारत में काम करने वाला कोई कर्मचारी निवेश कर सकता है. इसमें जमा की गई रकम पर इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है. कोई भी कर्मचारी जो भारत में काम कर रहा है, निवेश कर सकता है. इस पर 8.5 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है. हालांकि, इसका मैच्योरिटी पीरियड रिटायरमेंट तक होता है. लेकिन कुछ कास मामलों में इससे आंशिक निकासी की जा सकती है.
VPF कई मायनों में PPF का ही एक्सटेंशन रुप है. लेकिन फिर भी दोनों प्लानंस में अगाध अंतर है. जैसे पीपीएफ में सालाना डेढ़ लाख रुपये तक ही निवेश किया जा सकता है. और उसपर 80 सीकानून के तहत छूट मिलती है. इससे इतर, वीपीएफ प्लान में 5 लाख रुपये तक के निवेश पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता. इसके अलावा भी दोनों प्लान में कई और भेद हैं.
Posted by: Pritish Sahay