क्रूड ऑयल में गिरावट का फायदा उठाने की तैयारी में सरकार, क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतों की रफ्तार को रोक सकेगा ये फैसला?

मोदी सरकार ने तेल की कीमतों में गिरावट के इस दौर में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से आपूर्ति होने वाले सस्ते कच्चे तेल को बड़े पैमाने पर खरीदकर भंडारण करने की योजना बनायी है.

By KumarVishwat Sen | March 17, 2020 10:19 PM

नयी दिल्ली : भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में गिरावट का फायदा लेने की तैयारी में जुट गया है. मोदी सरकार ने तेल की कीमतों में गिरावट के इस दौर में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से आपूर्ति होने वाले सस्ते कच्चे तेल को बड़े पैमाने पर खरीदकर भंडारण करने की योजना बनायी है. आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है, लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि सरकार यह फैसला घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ने से रोक पाएगा?

दरअसल, इसी महीने कच्चे तेल की कीमतों पूरी दुनिया में करीब 40 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गयी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के पीछे पहले से जारी आर्थिक सुस्ती और अब कोरोना वायरस के चलते औद्योगिक गतिविधियों में आयी नरमी अहम वजह हैं.

पिछले दिनों रूस और सऊदी अरब के बीच तेल उत्पादन को लेकर समझौता नहीं हो पाने की स्थिति में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की रफ्तार पहले से कहीं अधिक तेज हो गयी है. रूस ने ओपेक देश और अन्य सहयोगियों के साथ आयोजित बैठक में सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन की सीमा तय करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने कहा था कि वे बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का उत्पादन जारी रखेंगे. ऐसी स्थित में भारत जैसे देश भविष्य के लिए कम कीमत पर तेल की खरीदकर भंडारण कर लेना चाहते हैं.

एक सूत्र ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा उठाने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्री को पत्र लिखकर 48 से 50 अरब रुपये जारी करने की मांग की गयी है. पेट्रोलियम मंत्रालय का कहनाहै कि वह आठ से नौ बड़े क्रूज में कच्चे तेल की खरीद करके भंडारण करेगा, ताकि भविष्य में इसका इस्तेमाल किया जा सके. बता दें कि मंगलवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 31 डॉलर प्रति बैरल है और खाड़ी युद्ध के बाद यह पहला मौका है, जब कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है.

उधर, कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद सरकार द्वारा डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कमी करने के बजाय उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए कांग्रेस और द्रमुक सदस्यों ने मंगलवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार पर आम उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही, दोनों दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर सदन से वॉकआउट किया.

शून्यकाल में सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह मामला उठाया कि कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बाद अब यह करीब 35 डालर प्रति बैरल हो गया है, लेकिन इसका लाभ आम उपभोक्ता को देने के बजाय मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल पर करीब तीन रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया. अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले में वित्त मंत्री के बयान के साथ ही प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की.

द्रमुक के दयानिधि मारन ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि मोदी सरकार जनता को लूट रही है. इसके बाद दोनों दलों के सदस्य सदन से वॉकआउट कर गये. तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी यह मामला उठाया और कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सऊदी अरब और रूस में उत्पन्न हालात के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गयी है.

उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2019 में कच्चा तेल 66 डॉलर प्रति बैरल था, जो 11 मार्च 2020 को 34.70 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ गया है, लेकिन सरकार आम जनता को इसका फायदा देने में विफल रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा स्थिति का सटीक आकलन करने में विफल रहने के कारण ऐसा हुआ है.

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