भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करने और यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद वहां उत्पादन घटने की आशंका के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गेहूं की कीमत में उछाल आया है. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने इस बाबत जानकारी दी है. खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) मूल्य सूचकांक मई 2022 में औसतन 157.4 अंक रहा, जो अप्रैल से 0.6 प्रतिशत कम है. हालांकि, यह मई 2021 की तुलना में 22.8 प्रतिशत अधिक रहा.
एफएओ खाद्य वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मासिक बदलाव पर नजर रखता है. एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक मई में औसतन 173.4 अंक रहा, जो अप्रैल 2022 से 3.7 अंक (2.2 प्रतिशत) और मई 2021 के मूल्य से 39.7 अंक (29.7 प्रतिशत) अधिक था. एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में लगातार चौथे महीने मई में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के मूल्य से औसतन 56.2 प्रतिशत अधिक और मार्च 2008 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से केवल 11 प्रतिशत कम थी.
Also Read: Cancelled Trains List Today: रेलवे ने आज 193 ट्रेनों को किया है कैंसिल, देखें पूरी लिस्ट
एजेंसी के अनुसार, कई प्रमुख निर्यातक देशों में फसल की स्थिति को लेकर चिंताओं और युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पादन कम होने की आशंका के बीच भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के कारण गेहूं की कीमत तेजी से बढ़ रही है. इसके विपरीत, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज की कीमतों में मई में 2.1 प्रतिशत की गिरावट आयी, लेकिन कीमतें एक साल पहले के उनके मूल्य की तुलना में 18.1 प्रतिशत अधिक रहीं। एफएओ के चीनी मूल्य सूचकांक में अप्रैल के मुकाबले 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसका एक प्रमुख कारण भारत में भारी उत्पादन से वैश्विक स्तर पर इसकी उपलब्धता की संभावना बढ़ना है.
गौरतलब है कि भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.