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सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं बढ़ा निवेश, तो निर्मला सीतारमण ने उद्योगपतियों को ही दे दी नसीहत

सरकार का दावा है कि सदी की सबसे बड़ी महामारी के बावजूद राजकोषीय घाटे को नियंत्रित किया गया. इसी तरह, कॉरपोरेट टैक्स में ऐतिहासिक स्तर तक कटौती की गई. गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है.

नई दिल्ली : केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार-II की सबसे बड़ी आर्थिक नीतियों में निजी निवेश के जरिए भारत को विकसित बनाना है. नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ‘मिनिमम अथॉरिटी-मैक्सिमम गवर्नेंस’ का मंत्र दिया गया था. अब दूसरे कार्यकाल इनोवेशन (नवोन्मेष) को तवज्जो दिया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस रणनीति पर काम करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी. सबसे बड़ी बात यह है कि अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद उसे इस काम में सफलता नहीं मिली. ऐसे में, कहा यह भी जा रहा है कि सरकार के प्रयासों के बाद निजी निवेश में तेजी नहीं आने से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना धैर्य को खो रही हैं. मीडिया की रिपोर्ट में यहां तक कहा जा रहा है कि उन्होंने निजी निवेश को लेकर भारतीय उद्योगपतियों को भी नसीहत दे दी.

सरकार के प्रयासों के बावजूद निजी निवेश में नहीं आई तेजी

सरकार का दावा है कि सदी की सबसे बड़ी महामारी के बावजूद राजकोषीय घाटे को नियंत्रित किया गया. इसी तरह, कॉरपोरेट टैक्स में ऐतिहासिक स्तर तक कटौती की गई. गैर-सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने और श्रम कानूनी दिशानिर्देशों को कारगर बनाने के प्रयास किए गए. यहां तक कि कृषि क्षेत्र को भी बाजार की ताकतों का सामना करने के लिए कानून बनाए गए. हालांकि, बाद में सरकार को अपने ही फैसले वापस लेने पड‍़े. फिर भी सरकार के इन तमाम प्रयासों के बादवजूद निजी निवेश में तेजी नहीं आई.

धैर्य क्यों खो रही हैं निर्मला सीतारमण

पिछले हफ्ते हीरो माइंडमाइन समिट के दौरान भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ ऐसा कहा, जिससे पता चलता है कि निजी निवेश के मुद्दे पर उनके धैर्य की कमी है. उन्होंने कहा कि अगर अभी यह कहना बेमानी नहीं है, तो मैं भारतीय उद्योगपतियों से भी समान रूप से कहना चाहूंगी कि ऐसा क्या है, जिसके बारे में वे आगे भी हिचकिचा रहे हैं? 2019 से जब से मैंने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला है, मैं सुन रही हूं कि उद्योग जगत को नहीं लगता कि माहौल निवेश के लिए अनुकूल है.’

निजी निवेश के लिए कुछ भी करेंगे : सीतारमण

अंग्रेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हीरो माइंडमाइन समिट में निर्मला सीतारमण ने कहा कि उद्योग ने कॉरपोरेट टैक्स की दर को नीचे लाने के लिए कहा, हमने उसमें कटौती कर दी. मैं उद्योग और निजी क्षेत्र का बचाव करती रही हूं, फिर भी लोगों ने पूछा कि आप निजी क्षेत्र को क्या बताना चाहेंगी? हमने कहा, हम उद्योग को यहां आने और निवेश करने के लिए कुछ भी करेंगे. उन्होंने पीएलआई (उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन) मांगा, हमने पीएलआई दिया.

पिछले आठ साल से स्थिर है निवेश

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब दुनिया भर के देश और उद्योग जगत यह सोचते हैं कि भारत निजी निवेश के लिए अनुकूल जगह है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश आ रहा है, निजी निवेश को लेकर शेयर बाजार भी इतना आश्वस्त है कि भारतीय खुदरा निवेशक उस पर भरोसा करते हैं. फिर भी पिछले आठ सालों के दौरान निवेश स्थिर रहा.

यूपीए सरकार के कार्यकाल में 4.4 फीसदी बढ़ा निवेश

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार के आठ साल के कार्यकाल और यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार की तुलना करें, तो यूपीए के पहले वर्ष में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. अब सवाल यह पैदा होता है कि आखिर अच्छा क्या रहा? तो इसका जवाब यह है कि खराब प्रदर्शन के बावजूद पहले वर्ष में निवेश 30.7 फीसदी था, जो वर्तमान सरकार के के मुकाबले बेहतर था. सबसे बड़ी बात यह है कि 2008 के वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद यूपीए सरकार के कार्यकाल में निवेश अपने रिकॉर्ड हाई पर कायम रहा. कुल मिलाकर यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान अर्थव्यवस्था में निवेश 4.4 गुना बढ़ा, वर्तमान सरकार के 8 साल के कार्यकाल में निवेश केवल 1.9 गुना बढ़ा हैं.

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अब हनुमान की ताकत सरकार बताएगी?

रिपोर्ट के अनुसार, शायद यही वजह है कि निर्मला सीतारमण ने इंडिया इंक की तुलना रामायण के हनुमान से की, जहां हुनमान अपनी खुद की अपार शक्ति पर संदेह जाहिर करते हैं. हीरो माइंडमाइन समिट में निर्मला सीतारमण ने बड़े ही आक्रोश में इंडिया इंक से कहा कि क्या हनुमान की तरह आपको अपनी क्षमता पर विश्वास नहीं है? क्या आपकी ताकत को बताने के लिए कोई आपके बगल में खड़ा होना चाहिए, जो यह कहे कि अरे, आप हनुमान हैं, आप करो. और वह व्यक्ति कौन है, जो हनुमान को हनुमान बताएगा? हनुमान को हनुमान बताने वाली सरकार तो नहीं ही हो सकती.

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