-विवेकानंद सिंह-
आजकल ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) की खूब चर्चा हो रही है. अपने अनूठेपन की वजह से यह विभिन्न इ-कॉमर्स वेबसाइट व फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म के लिए चुनौती बन रहा है. उदाहरण के लिए स्विगी और जोमैटो के जरिये अगर मैकडॉनल्ड्स से आप चार बर्गर और चार लार्ज फ्राइस आर्डर करते हैं, तो इसकी कीमत 702 और 768 रुपये होती है, जबकि यही सब ओएनडीसी पर 639 रुपये का आपको मिल जायेगा. खासकर, खाने की लगभग सभी सामग्रियों के मामले में कीमतों में यह अंतर देखने को मिल रहा है.
दरअसल, ओएनडीसी एक ऐसा ओपन प्लेटफॉर्म है, जहां कोई भी व्यक्ति सामान खरीद या बेच सकता है. इसके लिए उसे किसी अन्य एप पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. कोई भी रेस्टोरेंट ऑनर इसके जरिये सीधे कस्टमर को खाना बेच सकता है. यहां से खाना मंगाने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक सब कुछ संभव है. आमतौर पर प्राइवेट इ-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विक्रेताओं से एकमुश्त फीस लेते हैं. इसके अलावा वे हर ऑर्डर के बदले कमीशन लेते हैं. ओएनडीसी पर फिलहाल ऐसा कोई कमीशन नहीं देना होता है. ओएनडीसी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) की एक पहल है.
इसे शॉपिंग की दुनिया का यूपीआइ कहा जा रहा है. ओएनडीसी पर सामान बेचने वाले और सामान खरीदने वाले के लिए एक समान मौके उपलब्ध हैं. जब आप ओएनडीसी पर रजिस्टर्ड किसी भी विक्रेता के प्लेटफॉर्म पर कोई प्रोडक्ट सर्च करेंगे, तो आपको ओएनडीसी पर रजिस्टर्ड दूसरे सभी विक्रेताओं के उसी तरह के प्रोडक्ट्स सर्च रिजल्ट में दिखने लगेंगे. इसके लिए आपको दूसरे विक्रेताओं के प्लेटफॉर्म पर जाने की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में जहां उस प्रोडक्ट की कीमत सबसे कम होगी, वहां से आप उसे खरीद सकते हैं. किसी भी प्राइवेट इ-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ऐसी सुविधा नहीं मिलती. ओएनडीसी नेटवर्क पर मौजूद सभी विक्रेताओं की लिस्ट का एक्सेस उपभोक्ता को होता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ओएनडीसी की वजह से ही जोमाटो के शेयर में गिरावट दर्ज की जा रही है, क्योंकि निवेशकों को लग रहा है कि इसकी वजह से जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म प्रभावित होंगे.
ओएनडीसी ने इ-कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण किया है और छोटे कारोबारियों को इ-कॉमर्स के लिए मौके दे रहा है. प्राइवेट इ-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर छोटे कारोबारी ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर पाते, उनकी विजिबिलिटी घट जाती है, लेकिन ओएनडीसी पर ऐसा नहीं होगा. यहां रजिस्टर्ड हर मर्चेंट सभी बायर एप्स पर दिखेगा. ओएनडीसी की खासियतों में डायनेमिक प्राइसिंग, इन्वेंटरी मैनेजमेंट और डिलीवरी लागत को कम करना शामिल है. ओएनडीसी के जरिये छोटे विक्रेता भी ओएनडीसी को सपोर्ट करने वाले किसी भी एप के जरिये सामान की बिक्री कर सकेंगे.
ओएनडीसी कोई ऐसा प्लेटफॉर्म या एप नहीं है, जिस पर किसी एक एप का अधिकार हो और उसी के नियम लागू होंगे. कई कंपनियां और स्टार्टअप ओएनडीसी को सपोर्ट करने वाले एप बना रही हैं.
पेटीएम, माय स्टोर, क्राफ्ट्सविला, स्पाइस मनी, मीशो, पिनकोड, मौजिकपिन
– भारत सरकार द्वारा ओएनडीसी को वर्ष 2022 के अप्रैल में लॉन्च किया गया था.
– पहले इसे दिल्ली, भोपाल, शिलॉन्ग, कोयंबटूर और बेंगलुरु में पायलट प्रोजेक्ट की तरह लॉन्च किया गया था.
– सितंबर, 2022 से इसे उपभोक्ताओं के लिए पूरी तरह ओपन कर दिया गया.
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