WPI: आम आदमी को सांस नहीं लेने दे रही महंगाई, दम निकाल रहे आलू-प्याज के दाम

WPI: मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 फीसदी रही, जो अप्रैल में 23.60 फीसदी थी. प्याज की महंगाई दर 58.05 फीसदी, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 फीसदी रही. दालों की महंगाई दर मई में 21.95 फीसदी रही.

By KumarVishwat Sen | June 14, 2024 1:09 PM

WPI: आलू-प्याज और सब्जियों के दाम आम आदमी को सांस नहीं लेने दे रहे हैं. इनकी कीमतें लोगों का दम निकाल रही हैं. मई महीने में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से थोक मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़ गईं. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों में सब्जियों और बनी बनाई चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से थोक मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 फीसदी तक पहुंच गई हैं. हालांकि, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 फीसदी थी. वहीं, मई 2023 में यह शून्य से नीचे 3.61 फीसदी रही थी.

मई में खाने-पीने की हुईं महंगी

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि मई 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने का मुख्य कारण खाने पीने की चीजों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में बढ़ोतरी रही. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की महंगाई मई में 9.82 फीसदी बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 फीसदी थी.

आलू, प्याज और दाल के दाम बढ़े

मंत्रालयों के आंकड़ों के अनुसार, मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 फीसदी रही, जो अप्रैल में 23.60 फीसदी थी. प्याज की महंगाई दर 58.05 फीसदी, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 फीसदी रही. दालों की महंगाई दर मई में 21.95 फीसदी रही. ईंधन एवं बिजली क्षेत्र में महंगाई 1.35 फीसदी रही, जो अप्रैल के 1.38 फीसदी से मामूली कम है.
बनी बनाई चीजों में महंगाई 0.78 फीसदी रही, जो अप्रैल में शून्य से नीचे 0.42 फीसदी थी.

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एक साल के निचले स्तर पर थोक महंगाई

थोक मूल्य सूचकांक में मई में बढ़ोतरी महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के विपरीत है. इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 फीसदी पर आ गई, जो एक साल का सबसे निचला स्तर है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार आठवीं बार ब्याज दर में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है.

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