भारत की थोक मुद्रास्फीति जनवरी में लगातार दूसरे महीने नरम, खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में ईंधन और बिजली खंड (13.15 फीसदी के समग्र भार के साथ) का सूचकांक 1.39 फीसदी घटकर 155.8 फीसदी पर रह गया. अक्टूबर में कुल थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी थी और तब से इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.
नई दिल्ली : भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित थोक मुद्रास्फीति मध्यम बनी हुई है और साल 2023 के आरंभिक महीने जनवरी में यह नरम होकर 4.73 फीसदी पर पहुंच गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित स्तर से कुछ अधिक है. रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को चार फीसदी तक सीमित रखने के लिए रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. हालांकि, दिसंबर महीने में थोक मुद्रास्फीति नवंबर के मुकाबले नरम होकर 4.95 फीसदी पर थी.
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में ईंधन और बिजली खंड (13.15 फीसदी के समग्र भार के साथ) का सूचकांक 1.39 फीसदी घटकर 155.8 फीसदी पर रह गया. अक्टूबर में कुल थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी थी और तब से इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. खासकर, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित थोक मुद्रास्फीति सितंबर तक लगातार 18 महीनों के लिए दोहरे अंकों में रही थी.
इस बीच, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2023 में दोबारा रिजर्व के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार 6.52 फीसदी पर पहुंच गई. सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति क्रमश: 6.85 फीसदी और 6.00 फीसदी थी. अनाज और उत्पाद खंड, अंडे, मसाले आदि की कीमतों ने जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि में योगदान दिया. भारत की खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों से रिजर्व बैंक के छह फीसदी के लक्ष्य से ऊपर थी.
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उधर, महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई पिछले साल के मई महीने से लगातार अब तक रेपो रेट करीब 6 बार इजाफा कर दिया है. अभी हाल ही में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी की है. इसी के साथ मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट बढ़कर करीब 6.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है.
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