Crypto Crash Reason: अधिक समय नहीं हुआ जब एफटीएक्स दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग मंचों में से एक था. वर्ष 2019 में स्थापित इस क्रिप्टो एक्सचेंज में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका मूल्य 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन पिछले दो हफ्तों में पूरी तस्वीर ही बदल चुकी है.
सबसे पहले एफटीएक्स और परिसंपत्ति-व्यापार फर्म अल्मेडा रिसर्च के संबंधों को लेकर चिंताएं सामने आयीं. इस दौरान ग्राहकों के पैसे को एफटीएक्स से अल्मेडा में स्थानांतरित किये जाने की चर्चाएं भी शामिल हैं.
Also Read: Cryptocurrency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने पर काम करेगा भारत
कुछ दिनों बाद सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज और एफटीएक्स के प्रतिद्वंद्वी बिनेंस ने ऐलान किया कि वह एफटीटी टोकन की अपनी होल्डिंग को बेच देगी. इससे घबराये ग्राहक एफटीएक्स से धन निकालने के लिए दौड़ पड़े और यह एक्सचेंज अब पतन के कगार पर पहुंच चुका है. इसकी वेबसाइट पर यह संदेश भी जारी कर दिया गया है कि वह वर्तमान में निकासी की प्रक्रिया में असमर्थ है.
हालांकि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में यह इतने बड़े पैमाने पर हुई कोई पहली गिरावट नहीं है. बचाव की राह मुश्किल एफटीएक्स और अल्मेडा दोनों एक्सचेंज का बहुलांश स्वामित्व रखने वाले सैम बैंकमैन-फ्राइड ने इस साल की शुरुआत में अन्य बदहाल क्रिप्टो कंपनियों को मुश्किल से उबारा था.
लेकिन अब वह अपनी कंपनियों को बचाने के लिए आठ अरब डॉलर का निवेश करने वाले की तलाश में हैं. लेकिन कई फर्मों के पहले ही एफटीएक्स में अपनी हिस्सेदारी को बट्टे खाते में डाल देने से बैंकमैन-फ्राइड के लिए इच्छुक निवेशकों को ढूंढना आसान नहीं होगा.
बिनेंस ने इस क्रिप्टो एक्सचेंज का अधिग्रहण करने के बारे में सोचा लेकिन आखिर में उसका फैसला नकारात्मक ही रहा. इसने कदाचार के आरोपों और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग की जांच से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए अपने कदम पीछे खींच लिये. ऐसी स्थिति में अब एफटीटी की कीमत बहुत गिर गई है.
एक हफ्ते पहले यह 24 डॉलर पर कारोबार कर रहा था लेकिन अब यह चार डॉलर से भी नीचे आ गया है. सावधानी का सबक सही तरह से विनियमित नहीं हो रहे एक्सचेंजों पर बिना किसी अंतर्निहित मौलिक मूल्य के ‘परिसंपत्तियों’ में व्यापार करना हमेशा एक बहुत ही जोखिम भरा प्रयास होता है.
कई लोगों के लिए यह नुकसान का सौदा बन सकता है. क्रिप्टो से अलग तरह की परिसंपत्तियों का मामला अलग होता है. आम कंपनी के शेयरों का एक बुनियादी मूल्य होता है जो कंपनी के मुनाफे से भुगतान किये गए लाभांश पर आधारित होता है. रियल एस्टेट का भी एक आधारभूत मूल्य होता है, जो निवेशक को मिलने वाले किराये या उस पर उसके भौतिक कब्जे को दर्शाता है.
एक बांड का भी मूल्य उस पर मिलने वाले ब्याज की राशि पर निर्भर करता है. यहां तक कि सोने का भी कुछ व्यावहारिक उपयोग होता है. लेकिन बिटकॉइन, ईथर और डॉजकॉइन जैसी कथित क्रिप्टो मुद्राओं का ऐसा कोई बुनियादी मूल्य नहीं होता है. वे पार्सल आगे बढ़ाने वाले खेल की तरह हैं, जिसमें सट्टेबाज कीमत गिरने से पहले उन्हें किसी और को बेचने की कोशिश करते हैं.
क्रिप्टो पर प्रभाव इन घटनाओं ने क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास को और कम कर दिया है. इस नयी घटना से पहले ही क्रिप्टो-मुद्राओं का ‘मूल्य’ तीन लाख करोड़ डॉलर के उच्च स्तर से गिरकर एक लाख करोड़ डॉलर पर आ गया था. अब तो यह और भी नीचे गिर गया है.
जिस तरह इंटरनेट आधारित कारोबार में अमेजन जैसी कुछ कंपनियां ही दिग्गज बन पाई हैं, उसी तरह यह संभव है कि क्रिप्टो की रूपरेखा तय करने वाली ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्भर केवल कुछ कंपनियां ही स्थायी तौर पर उपयोगी साबित हों.
मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के विचार को केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की शक्ल में अब अपनाया जा रहा है. लेकिन बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के मुख्य अर्थशास्त्री ह्यून सोंग शिन के शब्दों में कहें तो ‘क्रिप्टो से जो कुछ भी किया जा सकता है वह केंद्रीय बैंक के पैसे से बेहतर किया जा सकता है.
(‘द कंवरसेशन’ में प्रकाशित इस लेख को जॉन हॉकिंस ने लिखा है, जो कैनबरा यूनिवर्सिटी के कैनबरा स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स एंड सोसाइटी में वरिष्ठ व्याख्याता हैं.)
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.