RBI Gold Reserves: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक से 100 टन सोना की स्वदेश वापसी करवाकर सबके कान खड़े कर दिए हैं. इस बात की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि दुनिया भर के देशों से आरबीआई इतनी अधिक मात्रा में सोना क्यों बटोर रहा है? उसे किस बात की आहट मिल गई, जिसके चलते वह इतना बड़ा कदम उठा रहा है? अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक में जो सोना रखा हुआ था, वह कई साल पहले दिया गया था. इसके अलावा, वह साल 2024 के शुरु होते ही दुनिया भर के देशों से आक्रामक तरीके से सोने की खरीद कर रहा है. चालू साल 2024 के पहले ही चार महीनों में उसने साल 2023 के 12 महीनों में खरीदे गए सोने से करीब डेढ़ गुना अधिक इस पीली धातु की खरीद कर चुका है और अब दूसरे देश में जमा अपने सोने को वापस ला रहा है. आइए, जानते हैं कि इतनी अधिक मात्रा में सोना जमा करने के पीछे आरबीआई का मास्टर प्लान क्या है?
विदेश में कितना जमा है आरबीआई का सोना?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2024 के अंत तक आरबीआई के पास 822.10 मीट्रिक टन सोना था, जिसमें से 408.31 मीट्रिक टन सोना घरेलू स्तर पर रखा गया था. वहीं, 387.26 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और 26.53 मीट्रिक टन बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया था.
सोना का बड़ा हिस्सा विदेश में क्यों रखता है आरबीआई?
साल 1990-91 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी और भारत के पास केवल 15 दिनों तक के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था, तब 1991 में आरबीआई ने अपने स्वर्ण भंडार का एक हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास गिरवी रखा था. उस समय उसने इंग्लैंड को 46.91 टन सोना भेजकर 405 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया था. ब्रिटेन के पास जो सोना भेजा गया था, उसमें कुछ हिस्सा बैंक ऑफ जापान के पास रखे गए गिरवी का सोना भी शामिल था. हालांकि, भारत ने नवंबर 1991 तक ही ब्रिटेन से लिए गए कर्ज का भुगतान कर दिया था, लेकिन आरबीआई ने रसद कारणों से सोने को बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरी में रखना ज्यादा पसंद किया.
क्या आरबीआई को पहले से मिल गई है कोई आहट?
24 फरवरी 2022 को रूस की ओर से यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद से युद्ध लंबा खिंच गया है और दुनिया भर में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने लगे हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले को देखकर चीन ताइवान पर हमले के लिए तनतनाया हुआ है. इजरायल हमास पर हमला कर रहा है. ईरान गैस और पेट्रोलियम पदार्थ को लेकर सऊदी अरब अमीरात और खाड़ी के दूसरे देशों के साथ उलझ रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में जब भू-राजनीतिक तनाव पैदा होता है, तो ऐसे हालात में अंतरराष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा को लेकर अनिश्चितता पैदा हो जाती है. फिलहाल, पश्चिमी देशों की ओर से रूसी परिसंपत्तियों को फ्रीज कर दिए जाने तथा ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में आ रही गिरावट ने विदेशों में स्वर्ण भंडार की सुरक्षा के संबंध में भारत सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है.
सोने का क्या करेगा आरबीआई?
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की सलाह के बाद आरबीआई घरेलू बाजार में सोने की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए स्वर्ण भंडार के सोने का इस्तेमाल कर सकता है. खासकर, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जैसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में भारी घरेलू मांग को देखते हुए स्थानीय सर्राफा बाजार को विकसित करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि देश का सोना घरेलू सीमा के भीतर ही रहे. इसके अलावा, सर्टिफिकेट के तौर पर रखे गए सोने का इस्तेमाल व्यापार और स्वैप में प्रवेश करने के साथ-साथ्ज्ञ रिटर्न कमाने के लिए किया जा सकता है. इसीलिए आरबीआई ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से सोना जमा करना भी शुरू कर दिया है, जो इसे बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरियों में रखना रसद के लिहाज से कहीं सुविधाजनक बनाता है.
इतना अधिक सोना क्यों खरीद रहा है रिजर्व बैंक?
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई और मुद्रा की अस्थिरता और विदेशी मुद्रा भंडार के विविधीकरण के लिए सोने इस्तेमाल किया जा सकता है. आरबीआई की ओर से विदेश से सोना लाकर भंडार तैयार करने के पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में डॉलर के प्रति भरोसा कम होता जा रहा है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि गैर-अमेरिकी केंद्रीय बैंकों की यूएस ट्रेजरी बॉन्ड की होल्डिंग मार्च 2023 में 49.8 फीसदी से घटकर मार्च 2024 तक 47.1 फीसदी हो गई है.
क्या ब्रिटेन की हो गई है पाकिस्तान जैसी स्थिति?
टैक्स एंड इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि देश के विकास के लिए यह अच्छी बात है कि ब्रिटेन 100 टन सोना वापस भारत भेज रहा है. सही मायने में देखा जाए, हमें अपना सारा सोना वापस ले आने की जरूरत है. इसका कारण यह है कि ब्रिटेन की स्थिति भी पाकिस्तान जैसी ही होती जा रही है. उसकी अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आ रही है. इसलिए वहां अपना सोना रखना समझदारी वाली बात नहीं है.
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