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WindFall Tax: घरेलू तेल कंपनियों को सरकार ने दिया झटका, फिर बढ़ा दिया टैक्स, डीजल-ATF पर मिली हल्की राहत

WindFall Tax: परेशानी से जूझ रही एयरलाइंस कंपनियों को राहत देते हुए एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) पर टैक्स को कम कर दिया है. साथ ही, डीजल पर भी टैक्स को कम किया है.

WindFall Tax: केंद्र सरकार के द्वारा घरेलू तेल उत्पादक कंपनियों को नये साल पर झटका दिया है. सरकार ने इसे बढ़ाकर 2,300 रुपये प्रति टन कर दिया है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में सरकार के द्वारा ये फैसला लिया गया है. जबकि, परेशानी से जूझ रही एयरलाइंस कंपनियों को राहत देते हुए एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) पर टैक्स को कम कर दिया है. साथ ही, डीजल पर भी टैक्स को कम किया है. सरकार ने विमान ईंधन की कीमत में 4,162.5 रुपये यानी 3.9 प्रतिशत की कटौती की गयी है. इस कटौती के बाद दिल्ली में विमान ईंधन की कीमत 1,01,993.17 रुपये प्रति किलोलीटर हो गयी है. यह लगातार तीसरा महीना है जब विमान ईंधन के दाम में कटौती की गयी है. इससे पहले, नवंबर में एटीएफ के दाम में लगभग छह प्रतिशत (6,854.25 रुपये प्रति किलोलीटर) की कटौती की गयी थी. जबकि दिसंबर में इसमें 5,189.25 यानी 4.6 प्रतिशत की कमी की गयी थी. किसी एयरलाइन की परिचालन लागत में एटीएफ का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत बैठता है.

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कितना कम हुआ विंडफॉल टैक्स

केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार, कच्चे तेल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स में प्रति टन एक हजार रुपये की वृद्धि की गयी है. पहले तेल पर 1300 प्रति टन टैक्स लिया जाता था, जबकि, अब 2300 रुपये लिया जाएगा. वहीं सरकार ने डीजल उपभोक्ताओं को राहत देते हुए डीजल पर प्रति लीटर लगने वाले 0.5 रुपये टैक्स को खत्म कर दिया है. इससे पहले 19 दिसंबर को हुई बैठक में, सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और डीजल निर्यात पर लागू अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती की घोषणा की थी. इस कदम से इन वस्तुओं पर लगाए गए विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) में कटौती देखने को मिली थी. सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर SAED को ₹5,000 प्रति टन से घटाकर ₹1,300 प्रति टन कर दिया गया था. इसके साथ ही, डीजल निर्यात पर SAED को ₹1 प्रति लीटर से घटाकर ₹0.50 प्रति लीटर कर दिया गया था.

एटीएफ और पेट्रोल पर क्या होगा असर

इन कटौतियों के बीच, सरकार ने विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) निर्यात पर लेवी बढ़ा दी है. कर, जो पहले अस्तित्व में नहीं था, ₹1 प्रति लीटर निर्धारित किया गया है. यह भी एक जनवरी से प्रभावी होगा. इसका सीधा अर्थ है कि हवाई जहाज का ईंधन महंगा हो गया है. इसका असर फिर से हवाई किराया पर दिख सकता है. जबकि, इसके विपरीत, पेट्रोल पर एसएईडी शून्य की दर पर बना रहेगा और इन परिवर्तनों से अप्रभावित रहेगा.

15 दिनों में होता है अपडेट

अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल और उत्पाद की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर विंडफॉल टैक्स में हर 15 दिनों में संशोधन होता है. इससे पहले, 1 दिसंबर को सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर अप्रत्याशित कर को ₹6,300 प्रति टन से घटाकर ₹5,000 प्रति टन करने की घोषणा की थी. इसके अलावा, 16 नवंबर को पिछली समीक्षा के दौरान, सरकार ने कच्चे पेट्रोलियम पर अप्रत्याशित कर को ₹3,500 घटाकर ₹9,800 प्रति टन से घटाकर ₹6,300 प्रति टन कर दिया था. यह वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट के रुझान के अनुरूप था. जबकि, 1 नवंबर को सरकार ने कच्चे तेल पर टैक्स 9,050 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 9,800 रुपये प्रति टन कर दिया था. इसके बाद, डीजल निर्यात पर शुल्क आधा घटाकर ₹2/लीटर कर दिया गया, जबकि जेट ईंधन पर शुल्क समाप्त कर दिया गया, जिससे इसे 1 रुपये/लीटर से घटाकर शून्य कर दिया गया. इसके बाद समझा जा रहा था कि हवाई किराया पहले की तरह नीचे आएगा. मगर आज फिर से एटीएफ पर टैक्स बढ़ गया है.

क्या है विंडफॉल टैक्स

कच्चे तेल की बढ़ती कीमत के जवाब में भारत ने शुरुआत में जुलाई 2022 में विंडफॉल टैक्स लगाया. यह कर सरकारों द्वारा तब लगाया जाता है जब कोई उद्योग अप्रत्याशित रूप से पर्याप्त मुनाफा कमाता है, जिसका श्रेय आमतौर पर किसी अभूतपूर्व घटना को दिया जाता है. जब वैश्विक बेंचमार्क की दरें 75 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाती हैं तो घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाया जाता है. डीजल, एटीएफ और पेट्रोल के निर्यात के लिए, लेवी तब लागू होती है जब उत्पाद में दरार आती है, या मार्जिन 20 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाता है. उत्पाद में दरारें या मार्जिन कच्चे तेल (कच्चे माल) की लागत और तैयार पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य के बीच अंतर को दर्शाते हैं. भारत में ईंधन निर्यात में प्रमुख खिलाड़ियों में गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े एकल-स्थान तेल रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स का संचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट द्वारा समर्थित नायरा एनर्जी शामिल हैं.

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