Wipro CEO बोले- छोटा काम पकड़ना ठीक, लेकिन मूनलाइटिंग नैतिकता का सवाल

जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कोई अन्य काम भी करता है तो उसे तकनीकी तौर पर 'मूनलाइटिंग' कहा जाता है. विप्रो ने दरअसल नौकरी के साथ 300 कर्मचारियों को प्रतिद्वंदी संस्थान के साथ काम करते हुए पाया था और उन्हें कंपनी से निकाल दिया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2022 1:59 PM

Wipro CEO On Moonlighting: आईटी इंडस्ट्री में ‘मूनलाइटिंग’ पर बहस छिड़ी हुई है. यह सही है या गलत, इसे लेकर विशेषज्ञों के अपने-अपने तर्क हैं. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में ‘मूनलाइटिंग’ को लेकर छिड़ी बहस के बीच विप्रो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) थिएरी डेलापोर्टे ने कहा है कि नौकरी के साथ कोई छोटा काम पकड़ना ठीक है लेकिन एक प्रतिस्पर्धी कंपनी के लिए काम करना ‘नैतिकता का सवाल’ है.

मूनलाइटिंग क्या है?

जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कोई अन्य काम भी करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है. विप्रो ने दरअसल नौकरी के साथ 300 कर्मचारियों को प्रतिद्वंदी संस्थान के साथ काम करते हुए पाया था और उन्हें कंपनी से निकाल दिया था.

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‘ऐसे कर्मचारी के लिए कोई जगह नहीं…’

इससे पहले विप्रो ने नौकरी छोड़ने की दर में मामूली गिरावट की सूचना देते हुए कहा था कि वह 85 प्रतिशत कर्मचारियों को 100 प्रतिशत ‘वैरिएबल पे’ का भुगतान करेगी. वहीं, विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने पिछले महीने कहा था कि कंपनी के पास ऐसे किसी भी कर्मचारी के लिए कोई जगह नहीं है जो विप्रो के पेरोल पर रहते हुए प्रतिद्वंद्वियों के साथ सीधे काम करना चुनते हैं.

कंपनी सीईओ ने कही यह बात

विप्रो के सीईओ डेलापोर्टे ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजों के घोषणा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अनुबंध के तहत कर्मचारी कोई अन्य काम नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा, कंपनी से जुड़ने वाले कर्मचारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल विप्रो के लिए समय समर्पित करें, बल्कि अपने और परिवार को भी समय दें.

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प्रतिद्वंद्वी कंपनी के लिए काम करना हितों का टकराव

डेलापोर्टे ने कहा, विप्रो के साथ काम करते हुए कोई दूसरा छोटा काम पकड़ना ठीक है. लेकिन अगर आप किसी ऐसी कंपनी के लिए काम कर रहे हैं जो हमारे कारोबार में हैं, तो बात अलग है. प्रतिद्वंद्वी कंपनी के लिए काम करना भी हितों का टकराव है. उन्होंने कहा, इसलिए मूनलाइटिंग वैधता का नहीं, बल्कि नैतिकता का सवाल है. हम नहीं मानते कि हितों के टकराव वाले दो काम करना सही है.

ऋषद प्रेमजी ने मूनलाइटिंग ‘धोखा’ करार दिया

गौरतलब है कि ऋषद प्रेमजी ने पिछले कुछ समय से मूनलाइटिंग की कड़ी आलोचना की है और इसे ‘धोखा’ करार दिया था. इसके अलावा आईटी कंपनी इन्फोसिस ने भी मूनलाइटिंग को एक ‘नैतिक’ मुद्दा बताया था. हालांकि, कंपनी ने इस बारे में अभी तक किसी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है. (इनपुट : भाषा)

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