नई दिल्ली : भारत में दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों में शुमार विप्रो ने नियुक्ति का इंतजार कर रहे नए कर्मचारियों के वेतन में लगभग 50 फीसदी तक कटौती की है. वहीं दूसरी ओर, आईटी कर्मचारियों की यूनियन एनआईटीईएस ने विप्रो की ओर से उठाए गए इस कदम को ‘अन्यायपूर्ण’ और ‘अस्वीकार्य’ बताया है तथा आईटी कंपनी से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है. आईटी उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि विप्रो का फैसला वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक अनिश्चितताओं और प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए चुनौतियों को दर्शाता है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु स्थित आईटी सेवा कंपनी विप्रो ने हाल में ही जिन उम्मीदवारों को को 6.5 लाख रुपये सालाना (एलपीए) की पेशकश की थी, अब उनसे पूछा है कि क्या उन्हें इसकी जगह 3.5 लाख रुपये का पैकेज स्वीकार्य होगा. ये कर्मचारी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे. आईटी क्षेत्र के कर्मचारी संगठन एनआईटीईएस ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि यह निर्णय ‘अन्यायपूर्ण’ है और ‘निष्पक्षता तथा पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है.’
एनआईटीईएस ने मांग की है कि प्रबंधन अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और आपसी फायदे का रास्ता निकालने के लिए संघ के साथ सार्थक बातचीत करे. इस बारे में संपर्क करने पर विप्रो ने एक ई-मेल के जवाब में कहा कि व्यापक वातावरण में बदलाव के मद्देनजर अपनी व्यावसायिक जरूरतों के तहत हमें अपनी नियुक्ति योजनाओं को समायोजित करना पड़ा.
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बताते चले कि साल 2023 की शुरुआत में ही गूगल और अमेजन समेत आईटी क्षेत्र की कई वैश्विक कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी की है. इसके साथ ही, भारत में आईटी क्षेत्र की कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर बैठे पेशवरों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. अभी 16 फरवरी 2023 में जॉब पोर्टल नौकरी डॉट कॉम की एक सर्वे रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि देश के अधिकांश नियोक्ताओं का कहना है कि 2023 की पहली छमाही में नौकरियों में छंटनी घटेगी, लेकिन वरिष्ठ पेशेवरों की नौकरियों पर खतरा है.
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