नई दिल्ली : आज आठ मार्च है और आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. भारत में महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां होती हैं. खासकर, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं में ये चीजें आम हैं. भारत की जो महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम करती हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा चिंता रहती है, क्योंकि ठेकेदारों के अंदर में मजदूरी का काम करती हैं और उनकी जितनी आमदनी है, उसके अंदर वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने के अलावा अपने स्वास्थ्य पर खर्च करना चाहती हैं. इन्हीं स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर एक बात यह भी सामने आई है कि यदि कोई कंपनी उन्हें उनके स्वास्थ्य की बिनाह पर अच्छा वेतन देने का भी पेश करती है, तो वह उसे छोड़ने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं. उनकी सोच यही है कि मेहनताना के तौर पर हर महीने जो कुछ भी उन्हें दिया जाता है, उसमें स्वास्थ्य संबंधी खर्च को आवश्यक तौर पर जोड़ा जाए और अगर वह नहीं जुड़ता है, तो वह उनके लिए बेकार है.
एक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में शामिल बड़ी संख्या में महिलाओं का कहना है कि यदि उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है, तो वे इसके एवज में ऊंचे वेतन से समझौता करने को तैयार हैं. कारोबारी सेवा प्रदाता कंपनी क्वेस कॉर्प के एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत की असंगठित अर्थव्यवस्था से जुड़ी महिलाओं में से 63 फीसदी स्वास्थ्य सुरक्षा लाभों के बदले में कम वेतन पर काम करने को राजी हैं, जबकि ऐसी सोच रखने वाले पुरुषों की संख्या महज 28 फीसदी है.
समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वेक्षण सितंबर, 2022 से जनवरी, 2023 के बीच 4,179 लोगों पर किया गया. इसके आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है, जो वेतन से कहीं अधिक प्राथमिकता रोजगार सुरक्षा, प्रशिक्षण और करियर विकास को देती हैं. क्वेस कॉर्प लिमिटेड में कार्यबल प्रबंधन के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने कहा कि भारत की असंगठित और संगठित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान एवं महत्व को हमें स्वीकार करना होगा. यह भी ध्यान में रखना होगा कि उनकी जरूरतें अब बढ़ गई हैं.
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सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि अब केवल वेतन को ध्यान में रखने के बजाय भारतीय कॉरपोरेट जगत को महिलाओं की रोजगारोन्मुख बनाने को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास में निवेश करना चाहिए, उन्हें रोजगार के अवसर खोजने में मदद करनी चाहिए और सामाजिक सुरक्षा लाभों की पेशकश भी करनी चाहिए. इसमें 38 फीसदी महिलाओं ने कहा कि कोरोना महामारी ने रोजगार सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया है. इसमें यह भी साफ पता चलता है कि महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा बड़ी प्राथमिकताएं बन रही हैं और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों में से 16 फीसदी मानती हैं कि संगठित रोजगार के अहम लाभ स्वास्थ्य और सुरक्षा हैं.
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