सबसे कम काम करने वाले देशों की क्या है स्थिति?कम काम करके कैसे कमाएं ज्यादा पैसे
Working Hours Debate: एलएंडटी के सीएमडी एसएन सुब्रह्मण्यम ने कर्मचारियों से 90 घंटे काम लेने की बात करके नई बहस छेड़ दी है कि लोग ज्यादा से ज्यादा काम करें. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विश्व के विकसित देशों में काम के घंटे कितने होते हैं. यह भी जानना जरूरी है कि कम काम करने वालों की क्या स्थिति होती है?
Working Hours Debate: इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी के सीएमडी (चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर) एसएन सुब्रह्मण्यम की कर्मचारियों को 90 घंटे काम करने की नसीहत का वीडियो सामने आने के बाद यह पूछा जाने लगा है कि क्या बहुत ज्यादा काम करके ही आप ज्यादा कमा सकते हैं. कम काम करने वालों की क्या स्थिति होती है? आमतौर पर सप्ताह में काम के घंटे फिक्स हैं. वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के मुताबिक, भारत के पड़ोसी देश भूटान में कोई भी कंपनी कर्मचारी से 54.3 घंटे काम लेती है. यह विश्व के किसी भी देश में काम का सर्वाधिक घंटा है. सीरिया में सबसे कम 25.3 घंटे काम लेने का प्रावधान है. कई विकसित देशों में भी काम के घंटे बहुत कम हैं. भारत में एक सप्ताह में किसी भी कर्मचारी के लिए काम के 46 घंटे फिक्स हैं. एसएन सुब्रह्मण्यम इसको बढ़ाकर 90 घंटे यानी कुल काम के घंटों को डबल के करीब ले जाना चाहते हैं.
विकसित देशों में नीदरलैंड में सबसे कम कामकाजी घंटे
आइए, आज आपको बताते हैं कि कम काम करने वालों की क्या स्थिति होती है. साथ ही यह भी बताते हैं कि कम काम करके आप कैसे अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं. इससे पहले आपको यह बताते हैं कि दुनिया के विकसित देशों में लोग कितने घंटे काम करते हैं. नीदरलैंड ऐसा देश है, जहां दुनिया के सबसे कम औसत कामकाजी घंटे होते हैं. यहां के लोग सप्ताह में 29-30 घंटे काम करते हैं. इस देश में वर्क-लाइफ बैलेंस बहुत अच्छा है. यहां के लोग व्यक्तिगत समय को अहमियत देते हैं. नीदरलैंड की सरकार लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करती है कि वे ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार कगे साथ बिताएं.
फ्रांस में 35 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते लोग
फ्रांस में कानूनी तौर पर कामकाज के घंटे फिक्स हैं. यहां एक सप्ताह में 35 घंटे से ज्यादा काम नहीं ले सकते. कर्मचारियों को लंबी छुट्टियां और सरकारी छुट्टियां मिलती हैं, जो काम के घंटों को कम कर देती है. यहां लोग परिवार के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं.
डेनमार्क में 33-34 घंटे ही काम करते हैं कर्मचारी
डेनमार्क में फ्रांस की तुलना में लोग कम काम करते हैं. यहां सप्ताह में 33-34 घंटे ही लोग काम करते हैं. काम खत्म करने के बाद लोग परिवार के साथ समय बिताते हैं. व्यक्तिगत संतुष्टि पर ज्यादा जोर देते हैं.
स्विट्जरलैंड में निजी जिंदगी को देते हैं ज्यादा अहमियत
स्विट्जरलैंड में 35-40 घंटे लोग काम करते हैं. ऊपर के 3 देशों से यह अधिक है, लेकिन कई देशों से कम है. स्विट्जरलैंड के लोग निजी जिंदगी को अहमियत देते हैं. बाहर के कार्यों में ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं.
स्वीडन में 4 दिन के कामकाजी सप्ताह को किया जा रहा प्रोत्साहित
स्वीडन में कामकाजी सप्ताह को 40 घंटे से कम रखने का प्रयास होता है. यहां की कुछ कंपनियों के साथ-साथ सरकारी विभाग 4 दिन के कामकाजी सप्ताह को प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसका उद्देश्य कर्मचारियों को ज्यादा छुट्टी देना और कार्य-जीवन संतुलन को बेहतर बनाना है.
भारत में भी कम काम करके कर सकते हैं मोटी कमाई
अगर आप भारत में हैं और कम समय काम करके पैसे कमाना चाहते हैं, तो आप नीदरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड के लोगों की तरह किस्मत वाले नहीं हैं. लेकिन, हां, अगर आप कम समय देकर ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए कई विकल्प हैं. आप उसका चयन अपनी सहूलियत और पसंद के हिसाब से कर सकते हैं.
मोबाइल फोन और इंटरनेट वाले कर सकते हैं अच्छी कमाई
भारत एक ऐसा देश है, जहां इंटरनेट बहुत सस्ता है. हर मोबाईल चलाने वाला इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल जरूर करता है. अगर वह चाहे, तो बेहद कम समय में अच्छी कमाई कर सकता है. इसके लिए जो काम बेहद मुफीद हो सकते हैं, उसमें फ्रीलांसिंग, कंटेंट क्रिएशन और यूट्यूब वीडियो शामिल हैं.
कंटेंट राइटिंग या ब्लॉगिंग को बनाएं कमाई का जरिया
अगर आपको लिखने-पढ़ने का शौक है. आप किसी विषय के विशेषज्ञ हैं, तो आप कंटेंट राइटिंग या ब्लॉगिंग में किस्मत आजमा सकते हैं. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो कंटेंट राइटिंग या ब्लॉगिंग करते हैं और मोटी कमाई करते हैं. उनके काम के घंटे भी फिक्स नहीं हैं. जब चाहें, काम करते हैं और जब चाहें आराम. अगर आपका ब्लॉग लोकप्रिय हो जाता है और आपके कंटेंट पढ़ने वालों की संख्या बढ़ जाती है, तो यह आपकी कमाई का जरिया बन जाता है.
फ्रीलांसिंग में भी समय की बाध्यता नहीं
पत्रकारिता के पेशे से जुड़े लोग फ्रीलांसिंग करके किसी स्थापित मीडिया हाउस में काम करने वालों से ज्यादा कमा लेते हैं. अपने काम में उन्हें मेहनत जरूर करनी होती है, तय समय सीमा के भीतर रिपोर्ट भी फाइल करनी होती है, लेकिन हर दिन ऑफिस में बैठकर 8 घंटे काम करने की उनकी मजबूरी नहीं होती. उन्हें इस बात की छूट रहती है कि वह कितनी देर काम करते हैं. कभी 1-2 घंटे काम करके वह अपनी रिपोर्ट पूरी कर सकते हैं, तो कभी उन्हें इसके लिए 10-12 घंटे भी काम करने पड़ सकते हैं.
यूट्यूब बना है लाखों लोगों की कमाई का जरिया
यूट्यूब अब बहुत लोकप्रिय हो चुका है. बड़ी संख्या में लोग यूट्यूब के जरिए पैसे कूट रहे हैं. शुरुआती दिनों में मेहनत कर लें, तो दिन में 1-2 वीडियो बनाकर यूट्यूबर हजारों रुपए कमा लेते हैं. अगर आपका चैनल लोकप्रिय हो जाता है, तो आप उससे लाखों रुपए भी कमा सकते हैं. केरी मिनाती जैसे लोग हैं, जिनके फॉलोअर मिलियंस में हैं. उनकी कमाई भी लाखों में है.
गरीब देशों में कम काम करने वाले झेलते हैं आर्थिक, मानसिक कष्ट
बहरहाल, कम काम करने वालों की स्थिति अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग होती है. कुछ लोग कम काम करने का फायदा उठाते हैं और व्यक्तिगत संतुष्टि के साथ-साथ पारिवारिक जीवन खुशहाल बनाते हैं. आर्थिक स्वतंत्रता का भी अनुभव कर सकते हैं. वहीं, दूसरा वर्ग ऐसा भी है, जिसे आर्थिक और मानसिक कष्ट झेलना होता है, क्योंकि वह कम काम करके अपनी जरूरतें ही पूरी नहीं कर पाता.
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